
मतदाता को अपने उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता जानने का पूर्ण अधिकार है - सुप्रीम कोर्ट
आजका सबसे अहम सवाल क्या भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की सत्ता का सिंहासन लुड़क सकता है,
क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश है की *मतदाता को अपने उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता जानने का पूर्णतः अधिकार है,*
तो क्या कोर्ट के एक फैसले ने सबकुछ पलट दिया है,
क्या नरेंद्र मोदी की डिग्री सचमुच है या सियासी पोस्टर पर चिपका महज एक कागज का टुकड़ा,
यदि डिग्री के बारे में झूठ बोला गया है तो क्या संसद की सदस्यता तुरंत खतम हो जाती है,
दोस्तों आज कानून, अदालत और राजनीति के बीच की रस्साकसी ने सरकार की चूलें हिला दी है,
*हमारे देश में जहां बड़े बड़े मुद्दे दब जाते हैं,*
*बेरोजगारी दब जाती है,* *किसान आंदोलन में किसानों पर की गई बर्बरता के परिणामस्वरूप किसानों की हत्या के मामले दब जाते हैं,*
*महंगाई से त्रस्त आम आदमी की चीखें दब जाती हैं,*
लेकिन इन सबके इतर
*एक मामला है प्रधानमंत्री की डिग्री का जो 9 सालों से दबने का नाम नहीं ले रहा है,*
मेरा सवाल यह है की जब भारत का गृहमंत्री स्वयं उस डिग्री को दूर से पत्रकारों को दिखाते हैं तब कोई आपत्ती नही होती, किंतु जैसे ही RTI में सूचना मांगी जाती है की क्या नरेंद्र दामोदास मोदी के नाम किसी शख्स ने स्नातक की परीक्षा पास की है की तभी समस्त सरकारी तंत्र हलाकान हो जाता है और कहा जाता है की जानकारी निजी है,
कमाल की बात यह है दोस्तों जिस देश में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले की नौकरी छीन ली जाती है वा समूल वेतन की वापसी भी करवाई जाती हो *उस देश में प्रधान सेवक जो देश का चौकीदार है जिसके पास एक झोला है तो क्या देश की प्रजा को यह हक नहीं की अपने चौकीदार के झोले से डिग्री निकलवा कर देख सके,*
भाइयों बहनों और मित्रों
*यदि 56 इंची झोले के मालिक की नियत में कोई झोल नही है तो झोला खोलकर दिखाया जाए और सम्पूर्ण विपक्ष समेत देश की जनता के सामने डिग्री के दर्शन करवाए जाएं l*
*कुंवर प्रताप यादवेंद्र सिंह यादव चंद्रवंशी उर्फ टाईगर भईया राष्ट्रीय अध्यक्ष वसुधैव कुटुंबकम्*