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भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: उत्तराखंड सरकार की नई पहल

भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: उत्तराखंड सरकार की नई पहल

देहरादून, 31 अगस्त 2025।
By: Kedar Singh Chauhan 'Pravar'
उत्तराखंड सरकार ने भ्रूण लिंग परीक्षण की रोकथाम, मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती और जन्म पंजीकरण को लेकर ठोस कदम उठाए हैं। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में आयोजित राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं।

PCPNDT एक्ट पर सख्ती – अब होगी निरंतर समीक्षा

बैठक में तय किया गया कि प्रत्येक जनपद स्तर पर PCPNDT (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques) एक्ट की समीक्षा बैठकें नियमित रूप से होंगी।

इन बैठकों में राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड के सदस्य भी मौजूद रहेंगे, ताकि नीतिगत फैसले और जमीनी कार्यान्वयन में कोई अंतर न रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMOs) को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भ्रूण लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्या रोकथाम के लिए ठोस निगरानी तंत्र विकसित किया जाए।

इससे यह संकेत साफ है कि सरकार अब केवल “कागज़ी अनुपालन” पर नहीं बल्कि मैदान पर सख्त कार्रवाई के मूड में है।

गर्भ संबंधी दवाओं पर नियंत्रण

डॉ. रावत ने स्पष्ट किया कि राज्य में अब बिना चिकित्सकीय परामर्श के गर्भ संबंधी दवाएं, विशेषकर मिसोप्रोस्टोल, किसी मेडिकल स्टोर से उपलब्ध नहीं होंगी।

यदि किसी मेडिकल स्टोर पर अनाधिकृत बिक्री पाई जाती है, तो उसके खिलाफ PCPNDT एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इससे “सेल्फ- मेडिकेशन” के खतरनाक प्रचलन पर रोक लगेगी और मातृ मृत्यु दर (MMR) तथा शिशु मृत्यु दर (IMR) को कम करने में मदद मिलेगी।

यह कदम सरकार की नारी-सशक्तिकरण और सुरक्षित मातृत्व के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

जन्म पंजीकरण – बच्चों के अधिकारों की पहली सीढ़ी

बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया कि हर नवजात शिशु का जन्म 21 दिनों के भीतर पंजीकृत होना अनिवार्य किया जाए।

इसके लिए ग्राम प्रधान, आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
साथ ही, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 और जन्म पंजीकरण को लेकर वृहद जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

यह पहल बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

भ्रूण हत्या और लिंग चयन पर कठोर रुख

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि भ्रूण लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्या रोकथाम के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

जनपदवार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
भ्रमण और निरीक्षण कार्यक्रम नियमित होंगे।
बोर्ड सदस्य भी समीक्षा बैठकों में शामिल होंगे ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके।

यह कदम लिंगानुपात सुधारने और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान को मजबूती देगा।

स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार – धर्मावाला में कैथ लैब का लोकार्पण

बैठक के अलावा स्वास्थ्य मंत्री ने धर्मावाला स्थित स्वामी विवेकानन्द धर्मार्थ चिकित्सालय में अत्याधुनिक कैथ लैब (Cath Lab) का भी उद्घाटन किया।

अब स्थानीय स्तर पर ही एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी जैसी आधुनिक हृदय रोग जांच और उपचार सेवाएं उपलब्ध होंगी।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को न्यूनतम शुल्क पर उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं मिलेंगी।

डॉ. रावत ने इसे सेवा और करुणा के आदर्शों पर आधारित कदम बताया।

स्वास्थ्य मंत्री ने किया कैथ लैब का लोकार्पण

सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने आज स्वामी विवेकानन्द हैल्थ मिशन सोसाइटी द्वारा संचालित स्वामी विवेकानन्द धर्मार्थ चिकित्सालय, धर्मावाला में अत्याधुनिक "कैथ लैब" का लोकार्पण किया। डॉ रावत ने कहा कि कैथ लैब के संचालन से हृदय रोगियों को स्थानीय स्तर पर एंजियोप्लास्टी, एंजियोग्राफी जैसी सुविधाएं सुलभ होगी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं न्यूनतम शुल्क पर मिल सकेंगी। उन्होंने कहा कि मिशन स्वामी विवेकानन्द के सेवा और करुणा के आदर्शों को साकार कर रहा है।

 उत्तराखंड सरकार की ये घोषणाएँ केवल स्वास्थ्य नीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह समाज के संवेदनशील और बुनियादी मुद्दों से सीधे जुड़ी हुई हैं।

PCPNDT एक्ट की सख्ती भ्रूण हत्या पर रोक लगाएगी।
दवाओं की नियंत्रित बिक्री मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करेगी।
जन्म पंजीकरण बच्चों को कानूनी अधिकार और सुरक्षा देगा।
आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ जैसे कैथ लैब ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में मरीजों की जीवन रेखा साबित होंगी।

यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार अब “कागज़ी योजनाओं” से आगे बढ़कर जमीनी बदलाव की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।




जनता से अपील:

भ्रूण लिंग परीक्षण या अवैध दवाओं की बिक्री की सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग या पुलिस को दें।
हर नवजात का जन्म पंजीकरण ज़रूर कराएँ।

स्वास्थ्य कर्मियों से अपील:

PCPNDT एक्ट और जन्म पंजीकरण की ज़िम्मेदारी को गंभीरता से लें।
ग्रामीण स्तर पर अधिक जागरूकता अभियान चलाएँ।

सरकार और समाज से अपील:

नारी-शिशु स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
सामाजिक संगठनों को भी इस मुहिम में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए।

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