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हालात केसे भी हो अच्छे लोग हमेशा पसंद किए जाते जाते हैं वक़्त था मास्टर अबदुल हई साहब इछावर के सेवानिवृत्त( retirement) होने का ।

मास्टर अबदुल हई साहब इछावर के सेवानिवृत्त( retirement) होने के मौके पर आज 62 वर्ष की अपनी शिक्षक के रूप में सेवा पूर्ण होने पर आपको विदाई देने के लिए न सिर्फ़ स्कूल के साथी शिक्षक बल्कि पूरे ग्राम से आए लोग ,बच्चे, बूढ़े और औरतें इस मौक़े पर उपस्थित थी सभी की आँखों और चेहरों पर आपके प्रति सम्मान और सेवा की भावना साफ़ नज़र आ रही थी आख़िर क्यों न हो ज़िंदगी के 62 वर्ष आपने न सिर्फ़ बच्चों को पढ़ाया बल्कि कभी आदिवासियों की बच्चों को कपड़े पहनाने का काम किया
कभी भूखों को खाना खिलाने का काम किया कभी लोगों को ठंडे पानी की केने वितरित की । जहाँ बरादराने वतन में समाज सेवा का काम किया है वहीं मुसलमानों मे रीति रिवाज़ ,बेज़ा रस्में और समाज में व्याप्त रूढ़िवादी सोच को बदल कर इस्लामी सोच पैदा करने की कोशिश की और लगातार कर रहे हैं आप आज के ऐसे हालात में भी बरादरआने वतन के लिए सम्माननीय और प्रेरणादायक शिक्षक ही नहीं बल्कि उनके दुख दर्द में काम आने वाले सच्चे दोस्त भी रहे इसी लिए आज आपकी विदाई समारोह पर इस आदिवासी गांवों का न सिर्फ़ बच्च बल्कि यहाँ रहने वाले बुजुर्गों ओर महिलाओं की आँखों में भी आपके लिए सम्मान के आँसू नज़र आते हैं और इस बात को सार्थक करते हैं कि हालात कैसे भी हों *मोमिन अपने कामों से लोगों के दिलों में जगह बना लेता

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