
बनवासी सेवा आश्रम के द्वारा किसानों को “जैविक खेती प्रशिक्षण” दे कर किसानों की खेती में बढ़ती लागत को बचाने की नई प्रयास
प्रेस – रामकुमार टेकाम
सोनभद्र उत्तर प्रदेश
*बनवासी सेवा आश्रम में जैविक खेती प्रशिक्षण का आयोजन*
बनवासी सेवा आश्रम, गोविंदपुर, सोनभद्र में तीन दिवसीय "जैविक खेती प्रशिक्षण" का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य किसानों को जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में शिक्षित करना था। इस प्रशिक्षण में किसानों को सिखाया गया:
- *घनजीवामृत और जीवामृत बनाना*: जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया जिसमें सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जाती है।
- *वर्मी वॉश और केंचुआ खाद तैयार करना*: केंचुओं का उपयोग करके जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया जो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करती है।
- *किट नियंत्रण के जैविक उपाय*: कीटों को नियंत्रित करने के लिए जैविक तरीकों का उपयोग, जैसे कि प्राकृतिक शत्रुओं का उपयोग या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव।
- *कुकड़ी रोग जैसी बीमारियों पर प्राकृतिक दावा बनाना*: पौधों की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग, जैसे कि नीम या तुलसी का उपयोग।
*प्रशिक्षण के मुख्य बिंदु*
प्रशिक्षण के दौरान, किसानों को जैविक खेती के महत्व और इसके लाभों के बारे में बताया गया। उन्हें यह भी सिखाया गया कि कैसे वे अपनी मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
*प्रशिक्षण के लाभ*
जैविक खेती प्रशिक्षण के कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- *मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार*: जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और इसकी गुणवत्ता में सुधार होता है।
- *किसानों की आय में वृद्धि*: जैविक खेती से किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है।
- *स्वास्थ्य की सुरक्षा*: जैविक खेती से स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है, क्योंकि इसमें रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है।
*निष्कर्ष*
बनवासी सेवा आश्रम में आयोजित जैविक खेती प्रशिक्षण एक सफल आयोजन था, जिसमें किसानों को जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में शिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण से किसानों को अपनी मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने और अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।