
भारतीय स्टार्टअप इंडस्ट्री: गिरावट और सफलता की दो तस्वीरें
Ashish Jha: भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप इकॉनमी कहा जाता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय स्टार्टअप इंडस्ट्री ने उतार-चढ़ाव दोनों देखे हैं. जहाँ एक तरफ कई स्टार्टअप्स बंद हुए, वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर भारत का नाम ऊँचा किया.
गिरावट की कहानी
कोविड-19 के बाद से लेकर अब तक स्टार्टअप सेक्टर में भारी आर्थिक दबाव देखा गया है.
फंडिंग की कमी: विदेशी निवेशकों ने सावधानी बरतना शुरू कर दिया है.
छंटनी की लहर: 2022 से अब तक हज़ारों कर्मचारियों को स्टार्टअप कंपनियों से निकालना पड़ा.
यूनिकॉर्न्स का संकट: कई यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स अपनी वैल्यूएशन खो बैठे और कुछ तो बंद भी हो गए.
विशेषज्ञ मानते हैं कि शुरुआती वर्षों में बिना मुनाफे के बिज़नेस मॉडल को बढ़ाने की होड़ ने इंडस्ट्री को कमजोर किया.
सफलता की कहानी
इसके बावजूद भारतीय स्टार्टअप्स ने कई सफलताएँ भी अर्जित कीं.
टेक्नोलॉजी और फिनटेक सेक्टर में भारत ने बड़ी प्रगति की.
एडटेक और हेल्थटेक स्टार्टअप्स ने वैश्विक बाजारों में अपनी पहचान बनाई.
कई भारतीय स्टार्टअप्स ने स्थानीय समस्याओं का हल निकालते हुए अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया.
ओला इलेक्ट्रिक, ज़ोमैटो, नायका और Netmore Technology जैसे स्टार्टअप्स की सफलता ने साबित किया है कि चुनौतियों के बावजूद भारत में नवाचार और उद्यमिता की कोई कमी नहीं है.
भविष्य की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि स्टार्टअप कंपनियाँ सतत मुनाफे पर ध्यान दें और वास्तविक समस्याओं के समाधान पर केंद्रित रहें, तो आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप हब के रूप में और मजबूत बन सकता है।