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गोंडी कला की जन्मभूमि पाटनगढ़ में शिक्षा का अंधेरा — टूटा स्कूल, दो साल से पंचायत भवन में कैद नौनिहाल”

डिंडोरी / करंजिया।
विश्वविख्यात गोंडी चित्रकला की धरती पाटनगढ़, जहाँ से भज्जू श्याम और दुर्गा बाई जैसे पद्मश्री कलाकारों ने दुनिया में पहचान बनाई, वहीं के बच्चों को आज तक अपना स्कूल भवन नसीब नहीं हुआ। ग्रामीणों की माने तो दो साल पहले जर्जर प्राथमिक शाला ढहा दी गई थी, लेकिन आज तक नया भवन नहीं बन पाया। नतीजतन पहली से पाँचवीं तक की पाँचों कक्षाओं का संचालन पंचायत भवन के एक छोटे से कमरे में ठूँस - ठून्स कर किया जा रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि यह बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। पंचायत भवन में लगातार लोगों का आना-जाना, बैठकें और सरकारी कार्यक्रम चलते रहते हैं, जिससे पढ़ाई बार-बार बाधित होती है। हालात यह हैं कि जब पंचायत की मीटिंग होती है, तो बच्चों को छुट्टी करनी पड़ती है।शिक्षकों ने भी साफ कहा है कि एक ही कमरे में पाँच कक्षाएँ चलाना शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा प्रहार है। बरसात और गर्मी में स्थिति और बदतर हो जाती है — बच्चे कभी गीले फर्श पर बैठते हैं तो कभी भीड़-भाड़ में पढ़ाई करने को मजबूर हो जाते हैं।

सरपंच चंद्र विजय ने भी प्रशासन से मांग की है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं को पंचायत भवन से अलग किया जाए और पाटनगढ़ में तत्काल नया स्कूल भवन बनाया जाए। इसके ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा —“गोंडी कला से दुनिया को पहचान दिलाने वाले पाटनगढ़ के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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