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स्कैम और फ्रॉड में जिम्मेदारी मुख्य रूप से फ्रॉडस्टर "और" निवेशक की होती है,

Satish Kumar Singh
Uttar Pradesh


फ्रॉड का असली जिम्मेदार धोखेबाज़ होता है। निवेशक तो शिकार होता है, जो भरोसा करता है। धोखेबाज़ जान बूझकर झूठ बोलता है या गलत फायदा उठाता है, इसलिए उसकी जिम्मेदारी ज़्यादा है। हाँ, निवेशक को भी सावधानी रखनी चाहिए, पर असली दोष धोखेबाज़ का ही है। अगर निवेशक लालच न करें, तो फ्रॉड का शिकार होने की संभावना काफी कम हो जाती है। लालच अक्सर अंधा कर देता है, और धोखेबाज़ इसका फायदा उठाते हैं। सावधानी और समझदारी से निवेशक अपने आप को बचा सकता है, पर फिर भी असली जिम्मेदार धोखेबाज़ ही रहता है, क्योंकि वह झूठ और छल से शुरुआत करता है।
जब कोई चीज़ वास्तविक कीमत से बहुत कम में मिलने का भ्रम हो या निवेश पर RBI के दिशानिर्देशों से ज्यादा रिटर्न का वादा हो, तो यह खतरे की घंटी है। सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि यह स्कैम की निशानी हो सकती है।
क्यों सावधान होना जरूरी?
असली से कम कीमत का भ्रम: अगर कोई प्रोडक्ट या सर्विस उसकी मार्केट वैल्यू से बहुत सस्ती दिख रही है, तो स्कैमर आपको लालच में फंसाने की कोशिश कर रहे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन शॉपिंग में भारी डिस्काउंट या "फ्री गिफ्ट" के ऑफर अक्सर फर्जी होते हैं।
RBI गाइडलाइंस से ज्यादा रिटर्न: RBI के मुताबिक, कोई भी निवेश स्कीम जो गारंटीड हाई रिटर्न (जैसे 20-30% मासिक) का दावा करती है, वह संदिग्ध है। सामान्य निवेश विकल्प (जैसे FD, म्यूचुअल फंड) में सालाना 7-15% रिटर्न ही रियलिस्टिक है। ज्यादा रिटर्न का वादा अक्सर पोंजी स्कीम या फ्रॉड का हिस्सा होता है।
क्या करें?
वेरिफाई करें: निवेश स्कीम SEBI या RBI से रजिस्टर्ड है या नहीं, चेक करें। ऑनलाइन खरीदारी के लिए वेबसाइट की सत्यता और रिव्यूज देखें।
जल्दबाजी न करें: "लिमिटेड ऑफर" या "आज ही निवेश करें" जैसे दबाव से बचें। समय लेकर रिसर्च करें।
सतर्क रहें: अगर कुछ "too good to be true" लगे, तो शक करें। स्कैमर इसी तरह लालच का फायदा उठाते हैं।
जागरूकता: दूसरों को भी बताएं कि अनरियलिस्टिक ऑफर से सावधान रहें।
RBI और SEBI की वेबसाइट्स पर स्कैम्स के बारे में अलर्ट्स उपलब्ध हैं।
ज्यादा रिटर्न के लालच में निवेश करके धोखा खाने की असली जिम्मेदारी निवेशक पर ही होती है, क्योंकि वह लालच में फंसकर धोखेबाजों को फलने-फूलने का मौका देता है। लेकिन चलिए, इस मुद्दे को थोड़ा गहराई से समझते हैं।
निवेशक की जिम्मेदारी क्यों?
लालच का जाल: इंसान की फितरत है कि वह जल्दी अमीर बनने के सपने देखता है। स्कैमर इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं। जैसे, पोंजी स्कीम या फर्जी क्रिप्टो इनवेस्टमेंट में 20-30% मासिक रिटर्न का वादा करके लोग फंस जाते हैं। अगर निवेशक थोड़ा रिसर्च करे, जैसे कंपनी की वैधता चेक करे या रेगुलेटरी बॉडी (जैसे SEBI) से वेरिफाई करे, तो धोखा होने की संभावना कम हो जाती है।
अज्ञानता और जल्दबाजी: कई बार लोग बिना सोचे-समझे इनवेस्ट कर देते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई ऐप या वेबसाइट हाई रिटर्न का दावा कर रही है, लेकिन उसकी कोई रेगुलेशन नहीं है, तो यह खतरे की घंटी है। निवेशक खुद को शिक्षित नहीं करते, जिससे स्कैमर आसानी से शिकार बनाते हैं।
स्कैमर को बढ़ावा: जब लोग ऐसे स्कैम में फंसते हैं, तो स्कैमर को और ज्यादा पैसे मिलते हैं, और वे बड़े स्तर पर ऑपरेट करते हैं। इससे पूरा सिस्टम प्रभावित होता है, और ईमानदार निवेश विकल्पों पर भी शक होने लगता है।
लेकिन सिर्फ निवेशक ही जिम्मेदार नहीं
हालांकि आपकी बात सही है कि लालच बड़ा फैक्टर है, लेकिन पूरी जिम्मेदारी निवेशक पर डालना ठीक नहीं।
स्कैमर की भूमिका: धोखेबाज अपराधी होते हैं। वे झूठे दावे, फर्जी डॉक्यूमेंट्स और सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करते हैं। कानूनन, वे ही मुख्य दोषी हैं। भारत में, ऐसे मामलों में पुलिस और साइबर सेल एक्शन लेती है, लेकिन कई बार पीड़ित रिपोर्ट नहीं करते।
सिस्टम की कमियां: सरकार और रेगुलेटर (जैसे RBI, SEBI) की जिम्मेदारी है कि वे जागरूकता फैलाएं और सख्त नियम लागू करें। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में क्रिप्टो स्कैम बढ़े हैं, और अब नए रेगुलेशन आ रहे हैं।
समाजी कारक: कभी-कभी लोग मजबूरी में फंसते हैं, जैसे गरीबी या जानकारी की कमी। ग्रामीण इलाकों में यह ज्यादा होता है, जहां एजुकेशन लेवल कम है।
कैसे बचें धोखे से?
रिसर्च करें: हमेशा कंपनी की बैकग्राउंड चेक करें। SEBI की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट ऑप्शन देखें।
छोटे से शुरू करें: बड़े रिटर्न का लालच छोड़ें। स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फंड में औसतन 10-15% सालाना रिटर्न ही रियलिस्टिक है।
सावधानी बरतें: अगर कोई "गारंटीड रिटर्न" कह रहा है, तो शक करें। याद रखें, हाई रिटर्न = हाई रिस्क।
जागरूकता फैलाएं: अगर आप धोखा खा चुके हैं, तो दूसरों को बताएं ताकि स्कैमर कम हों।
अंत में, हाँ, निवेशक का लालच स्कैमर को पनपने देता है, लेकिन शिक्षा और सतर्कता से हम इस चक्र को तोड़ सकते हैं।

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