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एक अहम गुजारिश

एक अहम गुजारिश

चंदौसी के दावत-ए-इस्लामी के जिम्मेदारान उलेमा ग्राम और शहर के दूसरे जिम्मेदार अफराद के नाम 12 रबी उल अव्वल वह बरकत दिन है जिस दिन आकाएं दो जहां सल्लल्लाहो ताला वसल्लम दुनिया में तकलीफ ले यह दिन पूरी इंसानियत के लिए सबसे बड़ी खुशी और मसरत का दिन है यकीनन मुसलमान के लिए इससे ज्यादा खुशी का कोई मौका नहीं हो सकता लेकिन मुसलमान की हर स्थिति शरण के दायरे में होती है और होनी भी चाहिए इसलिए जरूरी है कि 12 रविउलव्वल का जुलूस ऐसी शान ओ शौकत के साथ निकले जिसमें इस्लाम की खूबसूरती जाहिर हो जवानों पर दुरूद हो नौजवान इस्लामी लिबास में हो खवातीन अगर शरीक हो तो मुकम्मल पर्दे के साथ हो और जुलूस में सीरत ए मुस्तफा सल्लाहो अलैहि वसल्लम के तजकरे को हों यही असल तरीका है ओर हमारे उलेमा ए दावत ए इस्लामी के जिम्मेदार भी इसी का हुक्म करते हैं और इसी की तालीम देते हैं।
लेकिन अफसोस की आज के हमारे नौजवान इस मुबारक दिन को बद आमालियों और नाजायज कामों से आलू द कर देते हैं डीजे ढोल ताशे म्यूजिक नाच गाना औरतों का बेपर्दा होना और यहां तक की इसी दिन नमाजों को सजा करना बड़े-बड़े गुनाह है उलेमा और दावते इस्लामी के जिम्मेदार बार-बार इसे मान भी करते हैं लेकिन नौजवान काबू में नहीं आते इसलिए अब जरूरी है कि इन खराबियों को पुरजोर तरीके से रोका जाए हमारी गुजारिश है कि जुलूस का मुकम्मल नज़्म और नसक उलेमा और दावते इस्लामी के जिम्मेदारान के हाथ में दिया जाए ताकि वह इस नमाज की पाबंदी और शरीयत के दायरे में लेकर चले अगर अभी से इन चीजों को काबू न किया गया तो हादसा है कि आने वाले वक्त में यह जुलूस ज्यादा बिगाड़ का शिकार हो जाए और नौजवानों को यह जज्बाती अमल इस्लाम की बदनामी और गलत तस्वीर पेश करने का जरिया बन जाए लिहाजा भारी कारण इस तरफ संजीदा तवज्जो दीजिए अल्लाह ताला फार्म आपका मददगार हो नीचे तस्वीरें दी जा रही हैं जिनके जरिए हालत को काबू किया जा सकता है और इनके अलावा भी दूसरी तस्वीर इफ्तार की जा सकती हैं
कुछ हम तदाबीर व तजावीज
1. जुलूस कमेटियों से पेशगी मुलाकात
यह बहुत हम तस्वीर है इसलिए की डीजे वगैरा यह कमेटी ही लेकर आती है शहर की तमाम जुलूस कॉमेडीयों के जिम्मेदारों से मिलाद से पहले मुलाकात की जाए और उन्हें शक्ति मगर नरमी के साथ समझाया जाए कि डीजे म्यूजिक और दूसरे नाजायज कम जुलूस का हिस्सा ना बने
2.खवातीन के लिए खूसूसी इलाही मुहिम
क्योंकि औरतें जुलूस के अंदर बेपर्दा होकर आती हैं लिहाजा औरतों में भी बेदारी पैदा की जाए कि वह खुद भी ऐसे बेपर्दा होकर जुलूस में जाने से रुकें ओर अपने अहल ए खाना को भी रोकें

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