
जांगिड़ कुल परम्परा के संवाहक है ब्रह्मर्षि अंगिरा: पं हनुमान जांगिड़
जांगिड़ कुल परम्परा के संवाहक है ब्रह्मर्षि अंगिरा: पं हनुमान जांगिड़
पाली शुक्रवार 29 अगस्त। आचार्य हनुमान आर्य ने ब्रह्मर्षि अंगिरा को अथर्ववेद का रचयिता और जांगिड़ कुल परंपरा का संवाहक बताते हुए कहा कि हम लोग बड़े सौभाग्यशाली है जो अपने नाम के पीछे जांगिड़ ब्राह्मण उपनाम लगा पा रहे हैं। वरना हमारे पूर्वजों ने तो वह दौर देखा है जिसकी हम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। हमें घृणित शोषित दलित तथा शुद्र कहकर सदियों तक अपमानित किया जाता रहा है। हमारे महापुरुषों ने जिनमें डाॅ इन्द्रमणी जी लखनऊ, गुरुदेव पं. जय किशन जी मणीठीयां, पं. डालचंद जी शर्मा, पं हरिकेश दत्त जी शास्त्री आदि के तप त्याग और अथक परिश्रम तथा सतत प्रयास से पुनः जांगिड़ ब्राह्मण लगाने का हमें गौरव प्राप्त हुआ है। जिनके हमें नाम भी मालूम नहीं है हमें समाज के इन महापुरुषों का जीवन चरित्र और उनकी तरह वेदों शास्त्रों विशेष कर अथर्ववेद और उसका उपवेद अर्थवेद जिसको शिल्प साहित्य कहां जाता है का स्वाध्याय करके अंगिरा जी और विश्वकर्मा जी की तरह लोकोपकार करना चाहिए। यह बात उन्होंने अंगिरा जयति के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते कहीं।
पाली में ऋषि पंचमी अंगिरा जयंति गुरुवार को सुबह जांगिड़ समाज में मनाई गई जबकि सायं गौधुलिक वेला में श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति पाली के पूर्व अध्यक्ष प्रकाशचंद्र पिडवा का घर वेद मंत्रों से गुंजायमान हुआ। पं. घेवरचन्द आर्य के ब्रह्मात्व में आचार्य पं. हनुमान जांगिड़ द्वारा वेद मंत्रों की आहुतियां देकर विधिवत यज्ञ करवाकर अंगिरा जयंति मनाई गई। जिसमें प्रकाशचंद्र पिडवा सपत्नीक यजमान बने।
संध्या का समय होने के कारण इससे पूर्व संध्या की गई और संध्या का महत्व समझाया गया यह भी बताया गया की अंगिरा जी और विश्वकर्मा जी सहित हमारे पूर्वज नियमित संध्या हवन करते थे। हमें भी इनकी आज्ञा पालन करते हुए नियमित संध्या हवन करना चाहिए। यही भगवान अंगिरा जी और भगवान विश्वकर्मा जी की सच्ची पूजा है। यज्ञ के पश्चात -
*यज्ञस्वरूप प्रभो भाव उज्जवल किजिए।*
*छोड़ देवें छल-कपट को मानसिक बल दिजिए।*
प्रार्थना कर सबके सुख स्वास्थ्य की मंगल कामना की गई। पश्चात संगठन शुक्त का वाचन कर समाज एकता का महत्व समझाया गया। फिर यजमान परिवार पर पुष्प वर्षा कर आर्शीवाद दिया गया। शान्ति पाठ और जयघोष के साथ कार्यक्रम समापन हुआ।
इस अवसर पर पं घेवरचन्द आर्य, पं प्रकाशचंद्र पिडवा, पं हनुमान धामु, पं जगदीश बरड़वा, पं दीपक झालुण्डीयां, पं महेन्द्र चावला, पं विवेक जिलोया, केलाश आर्य, प्रमिला देवी, जसोदा देवी, ललिता देवी, एवं लेखिका ममता शर्मा सहित जांगिड़ समाज के लोग मोजूद रहे।
*समाज के नवयुवकों की प्रतिक्रिया*
आज इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर हमें आनन्द की अनुभुति हुई। हमारे समाज के गौरवशाली इतिहास एवं महापुरुषों के बारे में जानकर आश्चर्य एवं भी गर्व हुआ। एक अभियान चलाकर ऐसा कार्यक्रम समाज के हर व्यक्ति के घर आयोजित करना चाहिए।
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