ग़ाज़ियाबाद : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर प्रशासन मौन
शिक्षा का अधिकार (RTE Act 2009) कागजों पर ही सीमित नज़र आ रहा है। ग़ाज़ियाबाद के राजेन्द्र नगर स्थित *DLF Public School* पर आरोप है कि वह छह माह से गरीब बच्चों को एडमिशन देने से मना कर रहा है। अभिभावक रोज़ स्कूल और शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं। स्कूल प्रबंधन बहानेबाज़ी कर अभिभावकों से दुर्व्यवहार करता है और BSA कार्यालय का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है।
एक अभिभावक दीपक, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, ने बताया कि स्कूल न तो बैठने तक को कहता है और बार-बार आने से रोकता है। अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग और स्कूल के बीच मिलीभगत है, तभी कार्रवाई नहीं हो रही। सवाल उठता है कि जब प्रशासन खामोश है तो बच्चों का भविष्य सुरक्षित कैसे होगा? क्या “सब पढ़ें, सब बढ़ें” सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा?