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कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक उछाल, भारत पर इसके प्रभाव की आशंका।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें क्यों चिंता का विषय हैं?

पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में तेज़ी आई है। रूस-यूक्रेन युद्ध, ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती और ऊर्जा की बढ़ती मांग इसके बड़े कारण हैं।

भारत पर सीधा असर

भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग 85% हिस्सा आयात करता है। जैसे ही वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, पेट्रोल-डीज़ल और एलपीजी महंगे हो जाते हैं। इसका असर रोज़मर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ता है और महंगाई बढ़ जाती है।

सरकार के सामने चुनौतियाँ

महंगाई (Inflation) पर नियंत्रण रखना

सब्सिडी खर्च और राजकोषीय घाटा संभालना

रुपये की गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव

ब्याज दरों को संतुलित रखना


आम आदमी पर असर

पेट्रोल-डीज़ल महंगे होने से यात्रा खर्च बढ़ना

रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी

खाद्य पदार्थ और दैनिक वस्तुओं के दाम चढ़ना


समाधान और भविष्य की राह

1. सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों का विकास


2. रणनीतिक तेल भंडारण (Strategic Reserves)


3. तेल उत्पादक देशों से कूटनीतिक समझौते


4. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना



निष्कर्ष

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भारत की अर्थव्यवस्था और जनता दोनों को प्रभावित करता है। महंगाई, रुपये की कमजोरी और बढ़ते खर्च इसके मुख्य नतीजे हैं। हालांकि, सरकार के कदम और वैकल्पिक ऊर्जा पर ध्यान भविष्य में इस निर्भरता को कम कर सकते हैं।


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