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शुद्र - अति शुद्र में भेद भाव !

लोग कहते हैं सवर्ण शुद्र से भेद भाव करता है। यदि शुद्र महारुद्र से घृणा करता है तो उस समय महासुद्र कुछ नहीं बोलता है । आज ऐसा ही मधुबनी जिला के बालाबाखर में घटना घटी। एक बौद्धिष्ट बिन्देश्वर बिन्दु का 25/08/2025 को श्राद्ध कर्म हिन्दू रीति से परिवार वाले किया। खाना एक सुरेन्द्र कुमार कुशवाह के यहां बनाने का निर्णय लिया। जिसमें यादव, कुशवाहा मुस्लिम वगैरह-वगैरह का निमंत्रण मिला। श्राद्ध भोज खाने के समय में पहले कुशवाहा, यादव वगैरह-वगैरह खाना खाया। किसी दलित को सब्जी नहीं काटने दिया। दलित जाति का भोज , हिन्दू धर्म के शुद्र दलित को पहले नहीं खाने दिया । लेकिन अन्य जाति को खिलाने के बाद दलित को भोजन सुपूर्द किया। जाति के मैनजन, पुरोहित, खाना मांगते रह गया, लेकिन नहीं दिया। शुद्र को भोज खाने के बाद आप लोगों का भोज होगा।कितने जाति के सम्बंधित स्थिति से दुखी होकर बिना भोजन किए अपने घर चले गए। सरकार हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहती है, संविधान के तहत क्या दंड ऐसे लोगों को मिलनी चाहिए? जब हिन्दू राष्ट्र होगा तब दलित के साथ क्या होगा। दलित को सोचना चाहिए। दलित से चारो वर्ण घृणा करते हैं । ऐसी स्थिति में किसी एक जाति ब्राह्मण पर दोष मढ़ना बेईमानी नहीं तो और क्या है। बिन्दु जी कमिनिष्ट दल के नेता भी थे। ढेर सारे नेता भी इस भोज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जाति पात को देखकर मैं दंग रह गया। 79 वर्ष आजादी के बाद भी दलित अपमानित हो रहें हैं शर्म की बात है।
जागेश्वर मोची मधुबनी संवाददाता।

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