
बेरोजगार लोग सरकार के रवैये से नाराज नौकरी कैलेंडर का पता नहीं*
*सत्ता में दो साल रहने के बाद भी नई भर्तियों का अभाव*
*कांग्रेस पूर्व में जारी नियुक्ति आदेशों को जारी करके झूठा प्रचार*
मंचेरियाल रिपोर्टर 23 अगस्त (कृष्णा सोलंकी)
तेलंगाना को बेरोजगारी मुक्त राज्य बनाने के बड़े-बड़े वादे करने वाली कांग्रेस सत्ता में दो साल बाद भी इस मुद्दे पर कुछ न बोलने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही है उसने अपने चुनावी घोषणापत्र में एक साल में 2 लाख नौकरियां देने का वादा किया था और फिर उस वादे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया, जिससे युवाओं में गुस्सा है बेरोजगार इस बात पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं कि मौजूदा सरकार ने केसीआर सरकार द्वारा घोषित नौकरियों के अलावा कुछ भी नया नहीं दिया है जबकि बीआरएस ने अधिसूचनाएं जारी की हैं परीक्षा आयोजित की हैं और परिणाम घोषित किए हैं पार्टी, जिसने केवल नियुक्ति पत्र दिए हैं और उन नौकरियों को अपने खाते में ले लिया है अपना समय झूठे प्रचार में बिता रही है अब नौकरी कैलेंडर का वादा करके, बेरोजगार युवा कांग्रेस को करारा सबक सिखाने की तैयारी कर रहे हैं राज्य सरकार नौकरी भर्ती से जुड़ी अपनी कोई भी घोषणा पूरी नहीं कर रही है यह सर्वविदित है कि रेवंत ने चुनाव के दौरान घोषणा की थी कि हम हर साल 2 जून तक सभी विभागों में रिक्तियों वाला एक जॉब कैलेंडर जारी करेंगे 17 सितंबर तक हम भर्तियाँ पूरी कर लेंगे लेकिन सत्ता में आने के बाद दूसरी 17 सितंबर भी आ रही है। पिछले साल कुछ नहीं हुआ। कम से कम इस साल अगर कोई नौकरी की घोषणा होनी थी तो वह नहीं हुई अभी तक किसी भी विभाग ने स्पष्ट रूप से घोषणा नहीं की है कि कितनी रिक्तियाँ हैं 2 जून (तेलंगाना स्थापना दिवस) को दो महीने हो गए है लेकिन एक भी अधिसूचना जारी नहीं की गई है 17 सितंबर अब दूर नहीं है बेरोज़गार युवा नौकरी कैलेंडर और नौकरियों के बारे में पूछ रहे हैं 2024 के अंत तक राज्य भर में 9,000 लोग सेवानिवृत्त हो चुके होंगे और 2025 के वित्तीय वर्ष के अंत तक 9,000 और लोगों के सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है इसी आधार पर रोज़गार संघों के नेताओं का कहना है कि अकेले संयुक्त आदिलाबाद ज़िले में ही लगभग दो से तीन हज़ार नौकरियाँ खाली हो सकती है उनका कहना है कि हालाँकि ये सभी पद तुरंत भरे जाने की ज़रूरत हैं फिर भी सरकार भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में बुरी तरह विफल रही है इसके अलावा सरकार आदेश जारी कर रही है कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले सेवानिवृत्ति लाभ 2028 के बाद दिए जाएँगे इसे लेकर कर्मचारियों में भी गंभीर असंतोष है रोज़गार जगत में चर्चा है कि रेवंत रेड्डी सरकार जानबूझकर सेवानिवृत्ति लाभों को टाल रही है ताकि अगली सरकार पर बोझ डाला जा सके जबकि वह जानती है कि वह उन्हें वैसे भी नहीं दे पाएगी और दोबारा जीत भी नहीं पाएगी.रोज़गार सृजन के साथ-साथ कांग्रेस ने बेरोज़गारों को 4,000 रुपये देने का वादा किया है यह प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है पात्र उम्मीदवारों की पहचान कैसे की जाएगी और योजना का क्रियान्वयन कैसे होगा इस पर भी कोई स्पष्टता नहीं है इसी वजह से रोज़गार सृजन के साथ-साथ बेरोज़गारी भत्ते भी छिप गए है हर छात्र के लिए 5 लाख रुपये का शिक्षा आश्वासन कार्ड मुफ़्त वाई-फ़ाई और विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के लिए 10,000 रुपये की मासिक फ़ेलोशिप जैसे वादे अभी भी प्रयोग के दौर में है छात्रों के लिए अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की बात पर भी अमल नहीं हुआ है यह वादा कि अगर आप पहली बार शुल्क देकर लोक सेवा आयोग में अपना नाम दर्ज कराते हैं तो आपको उस वर्ष की बाकी अधिसूचनाओं के लिए शुल्क नहीं देना होगा अभी तक लागू नहीं हुआ है लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया उतनी तेज़ी से नहीं चल रही है ऐसा न करके सरकार बेरोज़गारों को बदनाम कर रही है आलोचना यह है कि बेरोज़गार बार-बार नौकरियों के लिए अधिसूचना जारी करने का विरोध कर रहे है कई लोग इस बात से नाराज़ हैं कि ज़रूरी नौकरियों को संयोग पर छोड़ दिया जा रहा है और बेरोज़गारों के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार किया जा रहा है वित्त विभाग से अनुमति मिलने में देरी कैडर संख्या के विभाजन पर स्पष्टता का अभाव और विभागों के पुनर्गठन का अभाव जैसे कारणों से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के बैकलॉग पदों पर भी कोई स्पष्टता नहीं है बेरोजगारों से जुड़े किसी भी समूह से किए गए वादों को पूरा न कर पाने से संबंधित समुदायों में असंतोष बढ़ रहा है संबंधित समुदायों में यह राय व्यक्त की जा रही है कि इसका स्थानीय निकाय चुनावों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।कांग्रेस सरकार 59,000 नौकरियाँ देने का दावा करना बंद करे केसीआर सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं पर नियुक्ति पत्र देकर शेखी बघारना ठीक नहीं है उन्होंने कहा था कि सत्ता में आने के पहले साल में 2 लाख नौकरियाँ देंगे वे सब कहाँ गए? बेरोज़गारों को भड़काने वाले बुद्धिजीवियों को ही पद दिए गए रोज़गार कैलेंडर के अनुसार तुरंत अधिसूचनाएँ जारी की जानी चाहिए बेरोज़गारी भत्ता नीति बनाकर तुरंत लागू की जानी चाहिए इस बात के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों को दोष देना उचित नहीं है कि बेरोज़गार ही अधिसूचना जारी करने की मांग कर रहे हैं नौकरियों की रिक्तियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है दूसरी ओर नियुक्तियाँ न होने से कर्मचारी भारी तनाव में हैं इससे व्यवस्था चरमरा गई है प्रत्येक विभाग से रिक्तियों का विवरण एकत्र किया जाना चाहिए और किए गए वादे के अनुसार एक जॉब कैलेंडर घोषित किया जाना चाहिए अधिसूचनाएँ जारी की जानी चाहिए और नौकरियाँ भरी जानी चाहिएं