भविष्य के गुरू द्रोणाचार्य ही चाहते कोई अर्जुन उनका नाम रोशन करे
बड़वानी जिले के विद्यालय भवन, जहां शिक्षा का सपना अधूरा रह जाता है। खेल के मैदानों की कमी से बच्चे तरसते हैं, उनकी ऊर्जा और उत्साह पर जैसे लगाम लग गई है। जिला बडवानी में कई स्कूलभवन में 2000 वर्ग फिट भी जगह नही है फिर स्कूलों भवन को मान्यता दी गई हैं जो एक बेडमिंटन कोर्ट की भी पर्याप्त नही है
ये विद्यालय, जो शिक्षा के मंदिर माने जाते हैं, आज खुद अकेलेपन और अभाव का सामना कर रहे हैं। बच्चों के चेहरे पर खेल के लिए कोई उत्साह नहीं, क्योंकि मैदान ही नहीं हैं।
कहीं कच्ची ज़मीन है, तो कहीं चारों ओर झाड़ियाँ। बच्चे अपने खेल के अधिकार से वंचित हैं। क्या यही है हमारे भविष्य का सपना?
आओ, हम सब मिलकर इस मुद्दे को उठाएं। बड़वानी के विद्यालयों में खेल के मैदानों की आवश्यकता है। यह सिर्फ बच्चों का हक नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है।
यह एक ऐसा परिवर्तन है, जिसे हमें अब शुरू करना है। क्या आप हमारे साथ हैं? आइए, हम मिलकर इस बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएं।