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सुप्रसिद्ध व्यंगकार विनय नोक के दो व्यंग्य संग्रहों का हुआ विमोचन

कार्यक्रम में आयोजित हुई काव्य गोष्ठी में कवियों ने विनय नोक को दीं काव्यमई बधाईयां

मेरठ - पंवार वाणी फाउंडेशन , साहित्यालोक तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,मेरठ के सौजन्य से वेस्टर्न चैंबर आफ कमर्स बॉम्बे बाजार मेरठ में सुप्रसिद्ध व्यंगकार और कवि श्री विनय कुमार शर्मा ,जो विनय नोक के नाम से लिखते हैं, के दो व्यंग्य संग्रह ,,,कोई रोना ना ,,तथा बीस बीस का दूसरा बीस,,का विमोचन एक भव्य समारोह में संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम के संयोजक,श्री शील वर्धन गुप्ता, श्री यश कुमार, और तूलिका शर्मा रहे । जबकि संचालन प्रसिद्ध कवि श्री सुमनेश सुमन ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मेरठ के वरिष्ठ कवि एवं व्यंग्यकार श्री निर्मल गुप्त ने की और कहानीकार डॉक्टर सुधाकर आशावादी ,पत्रकार और कवि श्री सूर्यकांत द्विवेदी ,साहित्यलोक के अध्यक्ष श्री सुशील कुमार कंसल आदि मंच पर आसीन रहे। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के पश्चात कवयित्री सुश्री कौमल चौहान द्वारा सरस्वती वंदना का पाठ किया गया ।तत्पश्चात कवियों ने श्री विनय नोके की दो पुस्तकों ,,,कोई रोना ना ,,तथा बीस बीस का दूसरा बीस,,, का लोकार्पण किया ।
देश के सुप्रसिद्ध ओज के हस्ताक्षर डॉक्टर हरि ओम पवार के कर कमलो द्वारा लोकार्पण किया गया। पुस्तकों की समीक्षा डॉक्टर सुधाकर आशावादी और श्री सूर्यकांत द्विवेदी ने प्रस्तुत की।
इस अवसर पर देश-विदेश में एथलेटिक्स में मेरठ का नाम रोशन करके पांच स्वर्ण पदक एवं एक रजतपदक प्राप्त करने वाली युवा एथलीट सुश्री रिया यादव को भी सम्मानित किया गया।

दूसरे सत्र में अपनी रचनाओं का प्रस्तुतीकरण करते हुए कवियों एवं शायरों ने श्रोताओं का मन मोह लिया ।नैमिष कुमार पाण्डेय (हास्य कवि, मेरठ)ने पढ़ा,,,
नीम की छांव जैसा तो कोई नहीं
एक उस ठाँव जैसा तो कोई नहीं
मंदिरों में भी जाना सही है मगर
बाप के पांव जैसा तो कोई नहीं

ओज के कवि-धर्मेन्ड 'सरस)ने रचना प्रस्तुत करते हुए कहा,,,
दिनकर ने गाया, जिसको
वो कुरुक्षेत्र की आग हूँ मैं

ओज कवि अश्वनी शर्मा की।पंक्तियां थीं,,,
मेरठ की धरती सुनाती है
सत्तावन की कहानिया
सुप्रसिद्ध कवि डॉ हरि ओम पंवार ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि मेरठ सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से सुदृढ़ शहर है। ये भारत भूषण और धर्म जीत सरल की यादों का शहर है। पुस्तक विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार की बड़ी जिम्मेदारी होती है कि उसे अपनी भी बात कहनी पड़ती है और बात का पतंगड भी ना बने। इस बात का भी ख्याल रखना पड़ता है और इस कार्य में विनय नोक जी खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा कि नोक जी के लेखन की विशेषता है कि समसामयिक विषयों पर लिखते हैं और रोज लिखते हैं।
पत्रकार सूर्य कांत द्विवेदी जी और साहित्यकार डॉ सुधाकर आशा वादी ने पुस्तक समीक्षा करते हुए कहा कि नोक जी जितने अच्छे इंसान हैं उतने ही अच्छे व्यंग्यकार भी है। हल्के फुल्के शब्दों में दमदार बात करने वाले नोक जी का अंदाज निराला है, जो अनायास ही पाठकों के मन को छू जाता है।
साहित्यकार निर्मल गुप्त ने व्यंग की बारिकियां बताते हुए कहा कि व्यंग्य की कोई परिभाषा नहीं है। व्यंग्य हमारे आस पास ही है, उसे खोजने की जरूरत है।
विनय नोक जी ने व्यंग्य बाण चलाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया -मै आम आदमी हूं। जैसे आम नाम का फल होता है, लगभग वैसा ही। चूसकर फेंक दिए जाने वाला। जिसे श्रोताओं की भरपूर दाद मिली।
श्याम मोहन गुप्त ने कहा कि ज्यादा लंबी चौड़ी पुस्तक लिखने के बजाए जो भी लिखें ऐसा लिखे कि कोई बात पाठकों को भा जाए। तब लोग आपकी पुस्तकों को हाथों-हाथ लेंगे।
कार्यक्रम में प्रभा शर्मा द्वारा चित्रकारी की गई चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। जिन्हें दर्शकों ने बेहद सराहा। इस अवसर पर जूडो-कराटे खिलाड़ी रिया यादव को प्रशस्ति पत्र, मोती माला और पटका पहनाकर डॉ हरिओम पंवार ने सम्मानित किया गया।
अंत में डॉ हरिओम पंवार ने ओज भरी वाणी सत्ता पर तंज कसते हुए कहा -सत्ता का आकर्षण मेरी भूख नहीं। शाल दुशालाऔर चादर मेरी चाह नहीं।जिसे सुनकर सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा ।
सभा को संबोधित करते हुए अतिथियों ने मंच से बोलते हुए कहा कि श्री विनय नोक सामयिक और ज्वलंत घटनाओं पर अपनी लेखनी चलाते हैं ।उनके तीखे और चुकीले व्यंग्य पाठकों और श्रोताओं को बहुत कुछ सोचने के लिए भी मजबूर करते हैं ।एक बैंकर होने के नाते केनरा बैंक के सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत श्री विनय लोक देश के जाने-माने कवि और व्यंग्यकार हैं ।वक्ताओं ने उनके संग्रहों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई और शुभ कामनाएं दीं
कार्यक्रम का सफल और सुमधुर संचालन लोकप्रिय गीतकार सुमनेश सुमन ने किया। शील वर्धन गुप्त ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ सुबोध गुप्ता, चरण सिंह स्वामी,पंडित आशुतोष, यशपाल कौत्शायन, संजय शर्मा, मंगल सिंह मंगल, डोरीलाल भास्कर, डॉ आर के भटनागर , ब्रज राज किशोर राहगीर, दिनेश शांडिल्य, प्रदीप अग्रवाल, डॉ नीलम मिश्रा तरंग, डॉ पूनम शर्मा, अरुणा पंवार, रेखा गिरीश,अलका गुप्ता भारती,रीतू अग्रवाल, पूनम उज्जवल, ईश्वर चंद गंभीर, ओंकार गुलशन, सत्य पाल सत्यम,राजन स्वामी, डॉ हर्ष दीप शर्मा आदि मौजूद थे।

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