logo

*प्रकृति-मानव केंद्रित जन आंदोलन (Nature - Human Centric Peoples Movement)राजस्थान प्रांतीय समिति की विस्तारित बैठक का आयोजन*



प्रकृति-मानव केंद्रित जन आंदोलन की राजस्थान प्रांतीय समिति की विस्तारित बैठक 15,16 व 17 अगस्त2025 को कांकरोली स्वास्तिक टॉकीज के पास पूर्बिया भवन में अयोजित की गई।
तीन दिवसीय बैठक में पहले दिन प्रांतीय सचिव ने प्रदेश जन आंदोलन की संगठनात्मक स्थिति और की गई गतिविधियों की रिपोर्ट पेश की ।

इसके साथ ही राजस्थान प्रांत के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर, राजसमंद, उदयपुर ,जयपुर और अजमेर,सीकर की संबंधित ज़िला इकाई के जिला सचिवों व सदस्यों द्वार जिले में किए गए कार्यो की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।पहले दिन 31 सदस्य उपस्थित रहे ।चर्चा में संगठन के काम और गतिविधियों को बढ़ाने के लिए युवाओ,महिलाओं,प्राकृतिक खेती,पर्यावरण-सुरक्षा,विश्व शांति एवं न्यायिक समाज के निर्माण के लिए पहले से ही चल रहे हैं जन संगठनों के साथ संयुक्त मोर्चा बनाकर तथा जहां कोई नहीं हो उस स्थिति में एनएचसीपीएम (NHCPM) के माध्यम से काम किया जाने का तय किया गया।

दूसरे दिन विचार विमर्श में पर्यावरण की स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है,इसका इजहार दिन प्रतिदिन हो रहे मौसम परिवर्तन और भूस्खलन, बाढ़, तूफ़ान आदि में हम देख रहे हैं पृथ्वी का औसत तापमान वर्ष 1880 के औसत तापमान से 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ चुका है तथा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 429 पीपीएम तक पहुंच चुका है।वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अभी भी कुछ संभावना है कि इस संकट( मौसम परिवर्तन की चुनौती ) पर काबू पाया जा सकता है। लेकिन हमारा वर्तमान मानव एवं पर्यावरण विरोधी विकास का मॉडल जारी रखा जाता है तो ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शीघ्र ही अगले 15 से 20 वर्षों में ही 450 पीपीएम हो जाएगा इससे संबंधित औसत तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाएगा। उसके बाद मानव इस पर काबू नहीं पा सकेगा। इस स्थिति के मध्यनजर हमें पूरी क्षमता से काम करने की सदस्यों ने बात राखी।
इसके साथ विश्व में तनाव , युद्ध व विवादों में वृद्धि हो रही है, मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों में निरंतर कमी की जा रही है, देश व दुनिया के बड़े नेता अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं।
मानव समाज में अन्याय भी बढ़ते जा रहे हैं समाज को न्यायिक आधार पर संगठित करने के लिए सदस्यों ने राय रखी कि वर्तमान समाज का आधार पूंजी(धन -दौलत) है,इसे प्रकृति और मानवता आधारित समाज व्यवस्था में रूपान्तरित करना होगा यानी आज समाज में विकास,समृद्धि और प्रगति को आधार धन वृद्धि में देखा जाता है जबकी सामाजिक न्याय आज प्रकृति या पर्यावरण के हित में और मानवता के हक में होने से दो तरफा नापदंड से तय करना होगा यानि समाज में प्रगति विकास और प्रकृति पर्यावरण संरक्षण व सुरक्षा और मानवता में इंसानियत में वृद्धि से नापा जाना चाहिए इसलिए लोगों में जन जागृति का अह्यान किया गया । दूसरे दिन 43 सदस्य उपस्थित रहे।बैठक का संचालन इंदाराम सचिव प्रांतीय समिति तथा अध्यक्षता लीलाधर स्वामी, गिरधारी लाल तथा भगवती लाल ने की।

46
1494 views