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बागपत के दो बेटे पहुंचे लालकिले: गांव की गलियों से 79वें स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय मंच तक

गांव की संकरी गलियों से निकलकर दिल्ली के लालकिले तक पहुँचना हर किसी का सपना होता है। इस बार 15 अगस्त को जब देश ने अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस “नया भारत” थीम पर मनाया, तो उसी ऐतिहासिक प्रांगण में खड़े थे बागपत जनपद के दो नौजवान—अमन कुमार और नीतीश भारद्वाज।

“तिरंगे के नीचे खड़े होना सपना नहीं हक़ीक़त था”

सुबह 7 बजे से ही लालकिले के चारों ओर सुरक्षा और जोश का माहौल था। जैसे ही 21 तोपों की सलामी गूंजी और राष्ट्रगान हुआ, तभी भारतीय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टरों से फूलों की बारिश शुरू हो गई। उस क्षण की गूंज आज भी अमन और नीतीश की आँखों में चमकती है।

अमन बताते हैं— “गांव की मिट्टी से उठकर हम लालकिले पर खड़े थे। तिरंगे के नीचे सलामी देते समय ऊपर से फूल बरस रहे थे… लगा जैसे पूरा बागपत हमारे साथ खड़ा है।”

बागपत की धरती से लालकिले तक

अमन कुमार को यह मौका रक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी में सवा दो लाख प्रतिभागियों के बीच 26वीं रैंक हासिल करने के बाद मिला। नीतीश भारद्वाज, माय भारत स्वयंसेवक, उनके साथी के रूप में इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बने।

दोनों ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। परिवार की उम्मीदें, सीमित साधन और संघर्ष के बावजूद उन्होंने साबित किया कि मेहनत और लगन से कुछ भी संभव है।

गांव में खुशियों का माहौल

जब गांववालों को पता चला कि उनके लड़के लालकिले से स्वतंत्रता दिवस के गवाह बनकर लौटे हैं, तो खुशी की लहर दौड़ गई। यह क्षण सिर्फ़ अमन और नीतीश का नहीं था, पूरे बागपत का था।

नया भारत – युवाओं के सपनों का प्रतीक

इस वर्ष की थीम “नया भारत” रही। लालकिले के मैदान में 2,500 एनसीसी कैडेट्स और माय भारत स्वयंसेवकों ने मिलकर नया भारत का लोगो बनाते हुए यह संदेश दिया कि 2047 तक विकसित भारत का सपना युवाओं की ऊर्जा और सृजनात्मकता से ही पूरा होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में युवाओं को आत्मनिर्भरता और नवाचार की ताकत बताते हुए खासतौर पर उल्लेख किया कि आज भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है।

गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा

बागपत के ये दोनों बेटे आज उन लाखों ग्रामीण युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं, जो संसाधनों की कमी के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।

अमन और नीतीश की यह यात्रा बताती है कि—
“गांव की गलियों से भी निकलकर कोई बच्चा लालकिले की प्राचीर तक पहुंच सकता है, बस सपनों के साथ मेहनत और हौसले की जरूरत होती है।”

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