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स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस भारतवासियों के लिए केवल एक तिथि नहीं, बल्कि गौरव, त्याग और एकता का प्रतीक है। यह वह दिन है जब हम अपने देश की आज़ादी का जश्न मनाते हैं और उन वीर सपूतों को नमन करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें यह स्वतंत्रता दिलाई।

15 अगस्त 1947 की सुबह हमारे इतिहास का स्वर्णिम क्षण थी। सदियों की गुलामी, अपमान और कठिन संघर्ष के बाद जब हमारे तिरंगे को लाल किले पर लहराया गया, तब हर भारतीय का हृदय गर्व से भर गया था। यह आज़ादी हमें सहज रूप से नहीं मिली, बल्कि इसके लिए लाखों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया।

महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के मार्ग से लेकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा" के नारे तक, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के फाँसी के फंदे तक, रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद की शौर्यगाथा तक – हमारी आज़ादी का हर पन्ना बलिदान और साहस की कहानी कहता है।

आज भारत विज्ञान, तकनीक, अंतरिक्ष, खेल और आर्थिक विकास में निरंतर आगे बढ़ रहा है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक आज़ादी नहीं है, बल्कि यह गरीबी, अशिक्षा, अन्याय, असमानता और भ्रष्टाचार से मुक्ति भी है।

इस दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम न केवल अपने अधिकारों का प्रयोग करेंगे, बल्कि अपने कर्तव्यों का भी पालन करेंगे। हम देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को बनाए रखेंगे, पर्यावरण की रक्षा करेंगे और ईमानदारी से कार्य कर देश के विकास में योगदान देंगे।

स्वतंत्रता दिवस हमें यह भी सिखाता है कि अगर हम सब मिलकर एक लक्ष्य की ओर काम करें, तो कोई भी ताकत हमें रोक नहीं सकती। तिरंगे की हर लहराती ध्वजा हमें यह प्रेरणा देती है कि हम देश के प्रति सदा निष्ठावान रहें और बलिदानियों के सपनों का भारत बनाएं।

जय हिंद! वंदे मातरम्!

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