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Kurukshetra News: 30 से ज्यादा लोगों ने लिया देहदान का संकल्प

कुरुक्षेत्र। श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर रचना शरीर विभाग एवं श्री दधिची देहदान समिति के संयुक्त तत्वावधान में देहदान जागृति एवं शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं बल्कि केवल शरीर की समाप्ति है। मृत्यु के बाद भी जीवन रहता है। शारीरिक दौर्बल्य, अवस्था के अनुसार स्वाभाविक है। जिसका जन्म हुआ है उसका मरण अवश्य होगा। जन्म लेना, बढ़ना, बूढ़ा होना, मरना ये शरीर के धर्म हैं। इनसे घबराना नहीं चाहिए। एक को मरते देख कर समझना चाहिए कि हम भी मरेंगे। यदि मरना है तो सब कुछ यहीं छूट जाएगा फिर संचय क्यों।
कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने आश्वस्त किया कि श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में देहदान करने वाले महादानियों की देह का ससम्मान उपयोग किया जाता है। उनके शरीर का प्रत्येक अंग और चिकित्सा शिक्षा और शोध के कार्यों में पूरी संवेदनशीलता और सम्मान के साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद, निस्तारण की पूरी प्रक्रिया भी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुरूप सम्मानपूर्वक की जाती है। महर्षि दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष अशोक रोशा ने बताया कि देहदान के लिए जो कदम बढ़ाया वह आज कारवां बन गया है।

समिति के उपाध्यक्ष मास्टर जीतेंद्र ने कहा 30 से ज्यादा देहदानियों ने देहदान के लिए संकल्प लिया है। कार्यक्रम में अशोक रोशा, जितेंद्र मास्टर, मनोज सेतिया, अनु मालियान, बृज लाल धीमान, चंद्रशेखर अत्रि, दीपक गिल, डॉक्टर सुतेंद्र गौड़, जगमोहन बंसल, कमलेश धीमान, जयप्रकाश पंवार, कैलाश गोयल, एमके मोदगिल, महावीर जी डीपी मिथुन सामाना प्रेम मेहता धर्मपत्नी प्रेम मेहता, राजेंद्र धीमान, रामचंद्र सैनी, लाला नितेश मंगल, डाॅ. कृष्ण मलिक, रामपाल, कारगिल योद्धा रविंद्र अग्रवाल, एडवोकेट रमेश दत्त शर्मा, विनोद जोतवाल, वीरेंद्र वर्मा, नाथी राम गुप्ता ने देहदान की शपथ ली।

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