logo

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, रंगमंडल श्री चित्तरंजन त्रिपाठी; निदेशक, रानावि के निर्देशन में मंचित करने जा रहा है नाटक ‘विभाजन विभीषिका तमस’

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली
प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, रंगमंडल श्री चित्तरंजन त्रिपाठी; निदेशक, रानावि के निर्देशन में मंचित करने जा रहा है नाटक ‘विभाजन विभीषिका तमस’

14 अगस्त 2025, नई दिल्ली: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, रंगमंडल ने अपनी नई नाट्य प्रस्तुति ‘विभाजन विभीषिका तमस’ प्रस्तुत करने जा रहा है, जो कि भीष्म साहनी द्वारा लिखित, साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित उपन्यास पर आधारित है । जिसमें अखण्ड राष्ट्र भारत के विभाजन की त्रासदियों को चित्रित किया गया है, जहाँ अनगिनत मासूम जिंदगियाँ आपसी दंगे में खो गए थे ।
नाटक का मंचन अभिमंच सभागार, रानावि परिसर में 14 अगस्त, 2025 को शाम 7:00 बजे और 15 से 17 अगस्त, 2025 तक रोजाना दो प्रस्तुतियाँ दोपहर 3:30 बजे और शाम 7:00 बजे किया जाएगा ।

श्री चित्तरंजन त्रिपाठी ने कहा कि देश को विभाजन विभीषिका पर एक घाव का स्मरण है, जिसने एक देश को दो भागों में विभाजित कर दिया । यह नाट्य प्रस्तुति अंतहीन दर्द का चित्रण है । यह भारत के सामाजिक-राजनीतिक इतिहास के सबसे अंधेरे हिस्से की अभिव्यक्ति है । सन् 1947 का विभाजन केवल सीमाओं का एक पुनर्वितरण नहीं था - यह भारत देश की आत्मा का अलगाव था । यह सिर्फ देश की स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी, बल्कि स्वतंत्रता दर्द में भिगोई गई थी । स्वतंत्रता दिवस के उत्सव के पीछे एक विशाल मानवीय त्रासदी : करोड़ों विस्थापित लोग, लाखों का वध, अनगिनत महिलाओं का चीड़-हरण किया गया और लाखों लोगों को अपनी पैतृक भूमि से मिटा दिया गया ।

दशकों तक, इन भयावहता को छुपाया गया, सेंसर किया गया, या ‘धर्मनिरपेक्ष सद्भाव’ की बयानबाजी के नीचे दफन किया गया । स्कूली पुस्तकों में, विभाजन एक पैराग्राफ बन गया । पर यह आज भी लाखों परिवारों के लिए पीड़ा बना हुआ है ।

भीष्म साहनी का मूल उपन्यास ‘तमास’ उस अंधेरे में भी घूरता है । यह सहज नायकों और खलनायकों की कहानी मात्र नहीं है - यह एक सभ्यता के पतन की शारीरिक रचना है, जो तुष्टिकरण की राजनीति द्वारा विभाजित और शासन की ब्रिटिश नीति द्वारा सृजित है । यह बताता है कि कैसे प्रचार, झूठ और राजनीतिक महत्वाकांक्षा दोस्त को दुश्मन, पड़ोसी को हत्यारे में बदल सकती है ।

‘विभाजन विभीषिका तमस’ सिर्फ एक नाटक नहीं है । यह विभाजन के अनगिनत पीड़ितों के लिए समर्पित है, विशेष रूप से उन लोगों को जिनकी पीड़ा ‘भावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाने’ के नाम पर मिटा दी गई थी । यह एक चेतावनी भी है; वही हथियार जो एक बार हमें अलग करता है - धार्मिक भ्रम, सांस्कृतिक व्युत्पत्ति, और राजनीतिक तुष्टिकरण - अभी भी, आज भी हमारे बीच किसी न किसी रूप में विद्यमान है । यह नाटक उपन्यास के 90 प्रतिशत पाठ का उपयोग संवाद के रूप में करता है ।

जैसे - जैसे भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ता है, हमें याद रखना चाहिए; यह शक्ति, सत्य और एकता पर बनाई गई है ।


नाटक में संत कबीर दास के दोहे, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री स्वानंद किरकिरे और श्री फैज अहमद फैज़ के गीतों को भी शामिल किया गया है, जो नाटक के संदेश को आगे बढ़ाते हैं ।

श्री चित्तरंजन त्रिपाठी और श्री आसिफ अली ने नाटकीय रूप से उपन्यास को नाटक में अनुकूलित किया है । श्री राजेश सिंह (एनएसडी रेपर्टरी प्रमुख) नाटक के दृश्य परिकल्पक हैं, श्री सौती चक्रवर्ती प्रकाश परिकल्पक और श्रीमती कृति वी. शर्मा कॉस्ट्यूम डिजाइनर हैं । श्री संतोष नायर ने नाटक का कोरियोग्राफ किया है, जबकि साउंड डिज़ाइन श्री संतोष कुमार सिंह द्वारा किया गया है । श्री सुंदर लाल छाबड़ा और श्री राजेश रेड्डी नाटक के सहयोगी निर्देशक के रूप में काम किए हैं ।

उपन्यास के लेखक, श्री भीष्म साहनी, जो स्वयं विभाजन का एक गवाह हैं, ने भारत के विभाजन के अपने कष्टप्रद अनुभवों और पाकिस्तान के निर्माण को साझा किया, मानव संबंधों की कई परतों की खोज की, जबकि ब्रिटिशों की असंवेदनशील भूमिका को उजागर किया गया है ।


रानावि आपको नाट्य प्र्स्तुति देखने के लिए आमंत्रित करता है l
टिकट www.bookmyshow.com पर उपलब्ध होंगे।
टिकट रु .100 होगा

14
1300 views