
पूर्वी उत्तर प्रदेश के एग्रीफूड सिस्टम में बदलाव को विशेषज्ञों ने की चर्चा, प्रिसीजन फार्मिंग के साथ खेती का होगा डिजिटलीकरण
वाराणसी। आईआईटी बीएचयू ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में एग्रीटेक इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए देश के विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इस पहल का लक्ष्य नवीन तकनीकों और शोध विचारों के माध्यम से किसानों की समस्याओं का समाधान करना और उन्हें कृषि-उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित करना है। प्रिसीजन फार्मिंग और खेती के डिजिटलीकरण से लेकर एग्री-सप्लाई चेन में नवाचार तक, यह पहल उत्पादकता बढ़ाने, लागत कम करने और किसानों को डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी, साथ ही छोटे किसानों की बाजार तक पहुंच को बेहतर बनाकर उनकी आय बढ़ाएगी।
इस दिशा में, आईआईटी बीएचयू ने एग्रीबिज़नेस पार्क का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार किया है और इस पर विचार-विमर्श के लिए कई ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र आयोजित किए हैं। इसी कड़ी में तीसरा सत्र आज इरी के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) में आयोजित हुआ, जिसमें 40 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें आइसार्क, इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज बीएचयू, इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बीएचयू, इक्रीसैट, आईसीएआर–भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, भोपाल, सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईसीएआर–सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, एनजीओ, निजी क्षेत्र के साझेदार और अन्य हितधारक शामिल थे।
पूर्व आईएएस अधिकारी नीलकमल दरबारी ने कहा कि इस क्षेत्र के 85% किसान छोटे और सीमांत हैं, इसलिए किसान-उन्मुख, तकनीक-आधारित और बाजार-केंद्रित पहल की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारी विभागों के कार्यों की पुनरावृत्ति से बचते हुए इस पहल को "सपोर्ट सर्विस रेफरेंस सेंटर" के रूप में स्थापित किया जाए। उन्होंने किसानों और तकनीक के बीच की दूरी को कम करने, प्रमुख फसलों की पहचान करने और एक “एग्रीबिजनेस पार्क” व तकनीकी हब विकसित करने पर जोर दिया, जो किसानों, उद्योग, एफपीओ और एनजीओ को जोड़े।
आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझे बिना तकनीक थोपना उचित नहीं है। उन्होंने किसान-केंद्रित समाधान, धान-सब्जी-फल जैसी वैल्यू चेन को मजबूत करने, सभी हितधारकों में जवाबदेही सुनिश्चित करने और लक्षित सलाह व बाजार से जुड़ाव के जरिए उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की कृषि के लिए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि केवल उत्पादकता बढ़ाने की रणनीतियों से आगे बढ़कर एग्रीबिजनेस विकास, चावल के मूल्य संवर्धन, उद्यमिता और किसानों की लाभप्रदता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रयासों का मुख्य लक्ष्य किसानों की लाभप्रदता बढ़ाना होना चाहिए।
अन्य प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि एग्रीपार्क को लैंडस्केप के माध्यम से विकसित किया जाए, इंटरक्रॉपिंग को बढ़ावा दिया जाए और शुरुआत में एग्रीटेक को 4-5 मुख्य फसलों पर केंद्रित किया जाए। सत्र का समापन इस सहमति के साथ हुआ कि बुनियादी ढांचे, डिजिटल नवाचार, संस्थागत समर्थन और उद्यमिता विकास को मिलाकर क्षेत्र की एग्रीटेक क्षमता को विकसित करने के लिए एक ठोस प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।