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JLKM केन्द्रीय अध्यक्ष सह डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो सूर्य नारायण हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की

जोहार,
डुमरी विधायक सह JLKM केन्द्रीय अध्यक्ष ने सीबीआई की मांग की है। मिली सूचना के आधार पर दो दिन पहले गोड्डा में सूर्यनारायण हांसदा उर्फ सूर्या हांसदा को गोड्डा पुलिस ने एनकाउंटर किया। अखबारों में कुख्यात उग्रवादी/अपराधी बोल के एनकाउंटर की न्यूज छापी गई थी कि पूर्व में इनके नाम से साहेबगंज और गोड्डा में कई आपराधिक मामले दर्ज थे।
अपराधिक मामलों को दरकिनार करें तो ये 2019 भाजपा से बोरियो का विधानसभा चुनाव लड़ चुके थे और सेकंड पोजिशन में रहे थे। उन्हें ये टिकट भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ताला मरांडी के टिकट को काट कर दिया गया था। दो बार बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से चुनाव लड़े थे। और इस बार जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम से चुनाव लड़े थे। लेकिन हर बार इन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन लड़ना न छोड़े थे। स्पष्ट है कि वो मुख्यधारा में आना चाहता था, बल्कि मुख्यधारा में था ही। सक्रिय राजनीति का हिस्सा था।
इनकी मैंने दो चार वीडियो देखे पहले के.... इनकी बातों में दर्द साफ झलकता था... ये बहुत कुछ करना चाहता था लेकिन संसाधनों की कमी थी। इसलिए वो सक्रिय राजनीति में आने को प्रयासरत था।
इनका एक वीडियो देखा जहाँ ये कह रहे थे कि पहाड़ियां लोगों का क्या हाल है देख लीजिए ... एक स्कूल अभी तक इनके इलाके में न पहुँचा है ?? कौन जिम्मेदार है ? झारखंड अलग हुए 25 साल होने को आये और इनके यहाँ एक स्कूल नहीं.. और न आधारभूत सुविधा...! अडानी यहाँ से अपना कंपनी चला रहा है.. क्या उसकी भी जिम्मेदारी नहीं बनती ? कई कंपनियां जहां बैठती हैं वहाँ के आस पास इलाकों के विकास के लिए खर्च करती है.. क्या वो यहाँ एक स्कूल नहीं खोल सकती ?? बेसिक एजुकेशन की व्यवस्था नहीं कर सकते ?? हमारी मांग तो इतना ही है।
पहाड़ियां के अलावे ऐसे कितने ही जनजाति हैं जो इसी अवस्था में जीवन यापन कर रहे हैं।
संथाल परगना जाइयेगा तो पत्थर माइनिंग/क्रशर के खदान ही खदान दिखेंगे....! यहाँ के पत्थरों से देश का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो रहा है.. लेकिन यहाँ के लोगों को क्या मिल रहा ?? धूल और बीमारी ?? इतना रेवेन्यू जेनेरेट होने के बाद भी इन्हें बेसिक फेसिलिटी तक मुहैया न करवाया जाना ??
कुछ इसी प्रवृत्ति के कारण लोग मुख्य मार्ग से भटक कर अन्य मार्ग अपनाते हैं.. फिर मुख्य मार्ग की ओर आते हैं।
सूर्या हांसदा इन्हीं सब चीजों के मध्य था.... बिना किसी मदद के अपने खुद के बल पे दो सौ अनाथ बच्चों के भविष्य को पुष्पित-पल्लवित कर रहा था।
और दो दिन पहले ये सिस्टम की भेंट चढ़ गया।
ये पुलसिया कार्यवाही संदिग्धता के घेरे में है... इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

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