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भरतपुर के इतिहास से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे,इतिहास के संरक्षण हेतु महाराजा सूरजमल यूथ ब्रिगेड ने भरी हुंकार

एन सी ई आर टी कक्षा 8 की पुस्तक में भरतपुर को मराठा साम्राज्य के अधीन दिखाने की त्रुटि अब जनाक्रोश में बदलती जा रही है। इसी क्रम में भरतपुर के युवाओं ने महाराजा सूरजमल यूथ ब्रिगेड जिलाध्यक्ष अभिलेख दहवा के नेतृत्व में महाराजा सूरजमल चौराहे से कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर अपना विरोध प्रदर्शन जताया। किसी भी राज्य के स्वतंत्र होने का प्रमाण होता है कि उसका स्वयं का कानून हो, सेना हो, कर संग्रहण व्यवस्था हो और किसी बाहरी शक्ति से संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र हो और ये सारी व्यवस्थाएं भरतपुर रियासत में थी इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश पहलवान , निर्भय सिंह बडेशरा,मनुदेव सिनसिनी, टोनी अवार, हरजीत सांखला nsui जिला अध्यक्ष ,सचिन फतेहपुर, विष्णु खेमरा, तपन शर्मा, आदित्य सोगरवाल, नरेश पहलवान ने सयुक्त रूप से अपनी बात रखते हुए कहा कि भरतपुर साम्राज्य की नींव ठाकुर बदन सिंह जी ने 17 वीं सदी में जाटों को एकजुट कर रखी उसके उपरांत राजा बदन सिंह को स्वतंत्र राजा की मान्यता 1733 में मिली। शुरू से लेकर अंत तक भरतपुर साम्राज्य किसी के अधीन नहीं रहा इसलिए उसे लोहागढ़ और अजेय भरतपुर के नाम से भी जाना जाता है। 1748 में महाराजा सूरजमल ने जयपुर के महाराजा ईश्वरी सिंह का साथ देते हुए बगरू के युद्ध में मराठा, राठौड़, सिसोदिया, हाड़ा , खींची और पवार राजाओं को अकेले ही परास्त किया और महाराजा ईश्वरी सिंह को गद्दी पर बैठाया। जब वह मराठों के खिलाफ युद्ध कर रहे थे तो अधीन होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। इतिहास में महाराजा सूरजमल महान कूटनीतिज्ञ और युद्ध माना जाता है क्योंकि उन्होंने 80 युद्ध लड़े और 80 के 80 जीते।1761 में पानीपत के युद्ध में मराठों ने महाराजा सूरजमल की युद्धनीति और कूटनीति को अगर मान लिया होता तो भारत में कभी मुगलों का साम्राज्य और आतंक नहीं पनपता। युद्ध में महाराजा सूरजमल ने उनका साथ नहीं दिया जिसके परिणामस्वरूप उन्हें शिकस्त मिली लेकिन महाराजा सूरजमल जी ने आक्रांता से बिना भय के मराठों को अपने राज्य में शरण दी और उनका इलाज भोजन व पैसा उपलब्ध कराया। तथा 6 महीने उपरांत सभी महिलाओं बच्चों और सैनिकों को सुरक्षित अपने सैनिक साथ भेजकर महाराष्ट्र भेजा जहां आज भी जाटों के 22 गांव बसे हुए हैं। युवाओं ने कहा कि जनता में भरी आक्रोश है और आज का प्रदर्शन तो झलकी मात्र है, एन सी ई आर टी जब तक भूल सुधार कर माफी नहीं मांगती है तब तक आंदोलन और जनजागृति जारी रहेगी और जल्द ही भरतपुर में भीषण आंदोलन होगा जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी।वैसे भी कहावत है "आठ फिरंगी नौ गोरे, लड़े जाट के दो छोरे" और भरतपुर के छोरे अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। इस मौके पर ओमवीर सिनसिनी अंकुश कसोदा, सचिन गोपालगढ़, अनुराग लाँकि , कर्मवीर फौजदार ,अंकित सिनसिनी, सौरव थेरावर, कृष्णा फ़ौजदार, गौरव फ़ौजदार, हरवीर,रवि कुंतल ,मनजीत,बबलू बेलरा, ललित अवार, गौरव कुंतल,शुभम फ़ौजदार,रोहित पेंघोर,ध्रुव आदि कार्यकर्ता मौजूद रहें

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