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रईस खान साहब: नानपारा ने खोया एक अनमोल रत्न

नानपारा, बहराइच, 13 अगस्त 2025: जिले की मशहूर और मारूफ शख्सियत, बड़े भाई तुल्य रईस खान साहब का लंबी बीमारी के बाद कल देहांत हो गया। उनकी मृत्यु की खबर से नानपारा और पूरे बहराइच जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। अल्लाह उनके दर्जात बुलंद करे और जन्नत-उल-फिरदौस में आला मकाम अता फरमाए। आमीन।
रईस खान साहब नानपारा के लिए किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। व्यापार जगत में उनकी लोकप्रियता ऐसी थी, मानो वे एक सूरज हों, जो हर किसी को अपनी रोशनी से नहलाता हो। यूनिटी वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में ऐसी मिसाल कायम की, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। उनका कारोबार सिर्फ व्यापार नहीं था, बल्कि लोगों की जिंदगियों में खुशियां बांटने का जरिया था। साफ दिल, निहायत हमदर्द, गरीबों का परवरिशगार और यारबाज – ये शब्द उनके व्यक्तित्व का सच्चा चित्रण करते हैं।
रईस साहब की दुकान नानपारा में एक ऐसी जगह थी, जहां लोग न सिर्फ सामान खरीदने आते थे, बल्कि उनके व्यवहार और उदारता की गर्माहट को महसूस करने आते थे। कस्टमर्स की पहली पसंद होने का राज उनकी विनम्रता और हर किसी से दोस्ताना व्यवहार था। गरीब मजदूर हो या कोई जरूरतमंद, उनका दरवाजा हमेशा खुला रहता था। यूनिटी वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से उन्होंने अनाथों को सहारा दिया, जरूरतमंद परिवारों को मुश्किलों से उबारा, और कई बच्चों की शिक्षा का इंतजाम किया। उनका कहना था, "सच्चा व्यापार वही है, जो इंसानियत की खिदमत करे।"
लंबी बीमारी ने उनके शरीर को कमजोर किया, लेकिन उनके जज्बे और दूसरों की मदद करने की भावना को कभी कम नहीं कर पाई। बीमारी के बावजूद उनकी मुस्कान और नेकी का जज्बा बरकरार रहा। उनकी कमी आज नानपारा के हर कोने में महसूस हो रही है। युवा उन्हें अपना रोल मॉडल मानते थे, और बुजुर्ग उन्हें अपना हमदर्द पाते थे। उनकी विदाई न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे नानपारा और बहराइच जिले के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
रईस खान साहब की यादें और उनके नेक काम हमेशा समाज के बीच जिंदा रहेंगे। उनके सिखाए सबक और उनकी हमदर्दी आने वाली पीढ़ियों को राह दिखाएंगे। उनके निधन पर पूरे जिले के लोग शोक में डूबे हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह उन्हें मगफिरत अता फरमाए और उनके परिवार व समुदाय को इस दुख को सहने की हिम्मत दे। आमीन।

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