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वेतन विसंगति दूर न होने से बाबू लोग परेशान पदोन्नति के अवसर भी समाप्त

उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित राजकीय महाविद्यालय क्षेत्रीय कार्यालय पब्लिक लाइब्रेरी इलाहाबाद तथा वित्तीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय के कार्यालय अधीक्षकों को छठे वेतनमान की वेतन विसंगति को अभी तक शासन द्वारा दूर ना की जाने के कारण यह लोग आर्थिक प्रतिष्ठात्मक शोषण के शिकार हो रहे हैं यहां तक की कुछ लोग तो निराश हो करके सेवानिवृत होने के पश्चात शासन के आदेश संख्या 401 दिनांक 18 मार्च 2011 के अनुरूप पदनाम तथा वेतनमान प्राप्त न होने के मामले में माननीय उच्च न्यायालय के सामने भी मार्च 2022 में मजबूरन गए हुए किंतु विभागीय गलत सूचनाओं तथा शासन की उदासीनता के चलते अभी तक उनको न्याय प्राप्त नहीं हो सका उनका कहना है कि समान पद के अनुरूप समान वेतनमान का जब शासनादेश पूरे प्रदेश में एक समान रूप से लागू है तो उच्च शिक्षा विभाग में राजकीय महाविद्यालय क्षेत्रीय कल है पब्लिक लाइब्रेरी इलाहाबाद तथा वित्तीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय तथा निदेशालय में समान पदनाम कार्यालय अधीक्षक होते हुए क्यों भिन्नता की जा रही है इन सभी का सचिवालय से इतर लिपिकी। संवर्ग एक समान है पूजा विसंगति क्यों समाप्त नहीं की जा रही है
महाविद्यालय कर्मचारी परिषद उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष श्री सत्येंद्र कुमार सोलंकी जी के द्वारा अवगत कराया गया कि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत लगभग 210 राजकीय महाविद्यालय 375 वित्तीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय 8 क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय वर्तमान में संचालित है तथा अभी हाल ही में 10 क्षेत्रीय कार्यों की स्थापना का शासनादेश किया गया है दिन में मात्र एक कनिष्ठ सहायक का पद दिया गया है जबकि यह मंडल के कार्यालय हैं जिम कम से कम दो कनिष्ठ सहायक एक वरिष्ठ सहायक एक प्रधान सहायक तथा एक प्रशासनिक अधिकारी का पद होना चाहिए एक अकेला कनिष्क सहायक कैसे मंडल का कार्यालय का कार्य संपादित कर सकता है यह उच्च अधिकारियों को ध्यान में रखना चाहिए होने लगी बताया कि अनेकों महाविद्यालय ऐसे हैं जिनमें मात्र एक ही कनिष्ठ सहायक या फिर मात्र एक ही वरिष्ठ सहायक के पद उपलब्ध है जो यह उच्च शिक्षा की विडंबना है एक और दो आप महाविद्यालय खुलती जा रहे हैं और शिक्षकों के पर्याप्त उच्च वेतनमान की प्रस्तुत कर रहे हैं जबकि कार्यालय में काम वेतनमान के पदों की कटौती की जा रही है यह शासन को संज्ञा में लेना चाहिए या यह गंभीर समस्या होते हुए कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर इस वक्त रहे हैं जो गंभीर चिंता का विषय है उनका कहना है कि यदि समय रहते महाविद्यालय के कर्मचारियों की वेतन में संगति का निराकरण समुचित ढंग से निष्ठाहट नहीं किया जाता है तो कर्मचारी आंदोलन होने के लिए मजबूर हो जाएंगे यह आज माननीय शिक्षा मंत्री डॉ योगेंद्र उपाध्याय जी तथा एमसी अग्रवाल जी प्रमुख सचिव शिक्षा से अनुरोध करता हूं कि इसे गंभीरता पूर्वक ध्यान रखते हुए शीघ्र ही कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान शीघ्र करने का कष्ट करें ताकि महाविद्यालयों के कर्मचारी को आंदोलन के लिए मजबूर ना होना पड़े

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