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भारतीय डाक का बड़ा फैसला, 1 सितंबर से बंद हो जाएगी 50 साल पुरानी डाक सेवा

भारतीय डाकघर ने एक बड़ा फैसला लिया है। 1854 से मुंबई की धड़कन रही डाक सेवा अब 1 सितंबर से बंद हो जाएगी। यानी अब चिट्ठियाँ नहीं, सिर्फ़ सूचनाएँ ही भेजी जाएँगी। अब ज़रूरी दस्तावेज़ और पार्सल भेजने के लिए सिर्फ़ स्पीड पोस्ट सेवा ही उपलब्ध होगी। 50 सालों से भी ज़्यादा समय से सेवा दे रही भारतीय डाक की पंजीकृत डाक सेवा अब बीते ज़माने की बात हो जाएगी।
डाक विभाग ने अपने काम को तेज़, आसान और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से यह फ़ैसला लिया है। डाक विभाग ने सभी सरकारी विभागों, अदालतों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों से 1 सितंबर से पहले अपनी सेवाओं को स्पीड पोस्ट में स्थानांतरित करने को कहा है।
यह सेवा ब्रिटिश काल से, यानी लगभग 171 वर्षों से चली आ रही थी। अब वह सेवा जनता को अलविदा कहने वाली है। जब इंटरनेट नहीं था, मोबाइल नहीं था, तब ये चिट्ठियाँ कई लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने का एक ज़रिया हुआ करती थीं। आज भी कई लोगों ने चिट्ठियों से अपनी भावनाएँ जुड़ी हैं। अब चिट्ठियाँ याद रखी जाएँगी।
डाक सेवाएँ बंद होने के बाद, डाक सेवाएँ महंगी हो जाएँगी। इससे आम नागरिक, खासकर किसानों, छोटे व्यापारियों और ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए डाक सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी, जो सस्ती डाक सेवाओं पर निर्भर हैं। स्पीड पोस्ट सेवा की लागत 41 रुपये से शुरू होकर 50 ग्राम तक है, जबकि रजिस्टर्ड डाक की लागत 24.96 रुपये होगी और उसके बाद हर अतिरिक्त 20 ग्राम के लिए 5 रुपये लगेंगे। इस तरह यह स्पीड पोस्ट से 20 से 25% सस्ता है।

पंजीकृत डाक सेवा क्यों बंद की जाएगी?

इस संबंध में, डाकघर ने कहा कि इस सेवा की माँग में गिरावट आ रही है। डिजिटल सेवाओं, ईमेल और निजी कूरियर कंपनियों का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसके कारण पारंपरिक डाक सेवाओं का उपयोग कम हो रहा है। 2011-12 में पंजीकृत डाक के माध्यम से लगभग 25 करोड़ पार्सल भेजे गए थे। 2019-20 में यह संख्या घटकर 18 करोड़ रह गई है। डाकघर ने कहा कि इसी कारण से, डाकघर ने इस सेवा को बंद करने का निर्णय लिया है।

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