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रक्षा बंधन का परंपराएं

रक्षा बंधन संविधान के तहत 26 नवम्बर 1949 को भारतीय को मिला। आज राखी बांधकर भाई बहनजी की रक्षा एवं बहन भाई की दीर्घायु की कामना हेतु ये ब्रत मनाते है। लेकिन ये कसौटी पर दिखाई नहीं देता। विज्ञान कहां से कहां चला गया फिर भी हमलोगों को चिंतन करना चाहिए।भाई खुद असुरक्षित है बहन की सुरक्षा खाक करेंगे। सामर्थ्यवान के लिए सब संभव है। असामर्थ्यवान के लिए ये ब्रत विश्वास पर कुठाराघात करता है। फिर आस्था पर कुठाराघात होता है। क्यों न हम सच को सच, झूठ को झूठ, अच्छा को अच्छा, बूरा को बूरा , सभी जीवों पर दया, सभी धर्म को सम्मान करना, किसी सम्पत्ति को ढेला समझ कर नहीं उठाना , नारी का सम्मान करने का ब्रत करें।
प्रति वर्ष इस ब्रत को सभी मजहबी बाले मनावें। जो विश्वशांति का संदेश होगा।आज दीन दुखी पर बलात्कार की घटनाएं प्रति दिन सूनने को मिलता है। रक्षा कवच किसी काम का नहीं रह जाता। फिर इसे कौन ब्रत माना जाय।
जागेश्वर मोची मधुबनी संवाददाता।

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