विश्व शेर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। हरे कृष्ण इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर, की वेबसाइट पर *रजिस्टर करें* अपनी भाषा में ऑनलाइन माध्यम से मुफ़्त गीता सीखें 18 दिन मे 👇
विश्व शेर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी पशु प्रेमियों एवं शेर संरक्षण के प्रति उत्साही जनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं । आइए, हम सभी साहस, सामर्थ्य, गति और शक्ति के प्रतीक शेर की प्रजाति के संरक्षण का संकल्प लें।
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आज त्रिकुटा पर्वत" से अद्भुत प्राकृतिक पावन दिव्य पिंडी स्वरूप जगजननी माँ वैष्णोदेवी जी के प्रातः काल श्रृंगार के आलौकिक दर्शन करे ।
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10 अगस्त वह दिन है जब श्रील प्रभुपाद 1965 में मालवाहक जहाज़ जलदूत पर सवार हुए थे। उनके साथ न तो धन था और न ही अनुयायी, बल्कि भगवान कृष्ण की पवित्र शिक्षाएँ थीं। 69 वर्ष की आयु में, केवल 40 रुपये और पुस्तकों से भरे एक ट्रंक के साथ, उन्होंने एक ऐसी यात्रा शुरू की जिसने एक वैश्विक आध्यात्मिक आंदोलन को गति दी।
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तुम कृष्णभावना के इस साम्राज्य को फैलाओ। श्रीकृष्ण ने तुम्हें क्षमता दी है। एक अंग्रेज सैनानी के साहस और एक बंगाली माँ के हृदय के साथ इसे उत्साह से करो।
(श्रील प्रभुपाद, 10 अगस्त,1977, वृंदावन)
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ए. सी. भक्तिवेदांत श्रील प्रभुपाद और हमारी गुरुपरंपरा की जय हो।"संदर्भ: भगवद् गीता 4.1- 4.3। क्या आपको पता है अर्जुन से भी पहले भगवत गीता का ज्ञान करोडो वर्ष पहले सूर्य देव को दिया गया था?
भगवद गीता यथारूप - गुरु-परम्परा , Bhagavad Gita As It Is Hindi - Guru Parampara
गुरु-परम्परा-
Bhagavad Gita 4.1 »
परम भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-मैने इस शाश्वत ज्ञानयोग का उपदेश सूर्यदेव, विवस्वान् को दिया और विवस्वान् ने मनु और फिर इसके बाद मनु ने इसका उपदेश इक्ष्वाकु को दिया।
Bhagavad Gita 4.2 »
हे शत्रुओं के दमन कर्ता! इस प्रकार राजर्षियों ने सतत गुरु परम्परा पद्धति द्वारा ज्ञान योग की विद्या प्राप्त की किन्तु अनन्त युगों के साथ यह विज्ञान संसार से लुप्त हो गया प्रतीत होता है।
Bhagavad Gita 4.3 »
उसी प्राचीन गूढ़ योगज्ञान को आज मैं तुम्हारे सम्मुख प्रकट कर रहा हूँ क्योंकि तुम मेरे मित्र एवं मेरे भक्त हो इसलिए तुम इस दिव्य ज्ञान को समझ सकते हो।
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एवं परम्पराप्राप्तम् इमं राजर्षयो विदुः (भगवद्गीता ४.२) | यह भगवद्गीता यथारूप इस गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त हुई है –
१. श्रीकृष्ण ,२. ब्रह्मा ,३. नारद , ४. व्यास ५. मध्व,६. पद्मनाभ ,७. नृहरि ,८. माधव
९. अक्षोभ्य,१०.जयतीर्थ , ११.ज्ञानसिन्धु , १२.दयानिधि ,१३.विद्यानिधि , १४.राजेन्द्र
१५.जयधर्म ,१६.पुरुषोत्तम , १७.ब्रह्मण्यतीर्थ १८. व्यासतीर्थ,१९.लक्ष्मीपति,२०.माधवेन्द्रपुरी
२१.ईश्र्वरपुरी (नित्यानन्द, अद्वैत),२२.श्रीचैतन्य महाप्रभु
२३.रूप(स्वरूप, सनातन),२४.रघुनाथ, जीव
२५.कृष्णदास,२६.नरोत्तम,२७.विश्र्वनाथ, २८.(बलदेव) जगन्नाथ,२९.भक्तिविनोद,३०.गौरकिशोर
३१.भक्तिसिद्धान्त सरस्वती,३२.ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद और अब उनके शिष्यों के माध्यम से हम तक।
रथ सप्तमी जिसे सूर्य देव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है ,उसी रथ सप्तमी (7 फरवरी 2022) के दिन से मैंने इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,से भगवत गीता पढ़ना शुरू किया था।
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बुद्धिमान स्त्रियों और पुरुषों को इस भव्य आंदोलन के प्रति रुचि उत्पन्न करनी चाहिए। यह एक विज्ञान संबंधित पूर्ण आध्यात्मिक आंदोलन है। आज मानव आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव होने के कारण अनेकों कष्ट भोग रहा है। पशु की भाँति भौतिकता में लिप्त होकर रह गया है। भौतिकवादिता का अर्थ है पशु धर्म पालन।
(श्रील प्रभुपाद,10 अगस्त 1973, पेरिस)
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हरे कृष्ण इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,की ओर से मंगल आरती सुबह @ 4:30 बजे प्रतिदिन , महामंत्र जप सत्र सुबह @ 5:00 बजे प्रतिदिन ,दर्शन आरती प्रातः@ 7:10 बजे प्रतिदिन, भागवतम् क्लास संध्या काल@7:30 बजे प्रतिदिन, ऑनलाइन ज़ूम लिंक के माध्यम से शामिल हो।
ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple
मीटिंग आईडी: 494 026 3157
पासवर्ड : 108
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Bhagavad Gita Verse Of the Day: Chapter 7, Verse 17
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते |
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रिय: || 17||
तेषाम्-उनमें से; ज्ञानी–वे जो ज्ञान में स्थित रहते हैं; नित्य-युक्त:-सदैव दृढ़; एक-अनन्य; भक्ति:-भक्ति में; विशिष्यते-श्रेष्ठ है; प्रियः-अति प्रिय; हि-निश्चय ही; ज्ञानिनः-ज्ञानवान; अत्यर्थम्-अत्यधिक; अहम्-मैं हूँ; सः-वह; च-भी; मम–मेरा; प्रियः-प्रिय।
Translation
BG 7.17: इनमें से मैं उन्हें श्रेष्ठ मानता हूँ जो ज्ञान युक्त होकर मेरी आराधना करते हैं और दृढ़तापूर्वक अनन्य भाव से मेरे प्रति समर्पित होते हैं। मैं उन्हें बहुत प्रिय हूँ और वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं।
Commentary
वे जो भगवान का दुख में, सांसारिक सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए या जिज्ञासा के कारण स्मरण करते हैं, इसी कारण से वे अब तक निष्काम भक्ति से युक्त नहीं होते। लेकिन धीरे-धीरे समर्पण भक्ति की प्रक्रिया से उनका हृदय शुद्ध हो जाता है और वे भगवान के साथ अपने नित्य संबंध का ज्ञान विकसित करते हैं। तत्पश्चात भगवान के प्रति उनकी भक्ति अनन्य, एकचित्त और अविरल होती है। क्योंकि उन्हें ऐसा ज्ञान प्राप्त हो जाता है कि संसार उनका नहीं है और यह आनन्द का स्रोत नहीं है और वे न तो अनुकूल परिस्थितियों की तृष्णा और न ही प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए शोक व्यक्त करते हैं। इस प्रकार से वे निष्काम भक्ति में स्थित हो जाते हैं। पूर्ण आत्मसमर्पण की भावना से वे अपने परम प्रिय के लिए प्रेम की अग्नि में स्वयं को आहुति के रूप में अर्पित करते हैं। इसलिए श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे भक्त जो ऐसे सत्य ज्ञान में स्थित हो जाते हैं, मुझे अत्यंत प्रिय हैं।
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इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,भगवद् गीता Level-1 बैच 47 (Hindi) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक!
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इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर,भगवद् गीता Level 2 बैच 45 (Hindi ) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक -
https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4N6I3fTQT8bCpcUsoq3xaP&si=ZgUsjPqDjDzQrJTc
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इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर, द्वारा अयोजित श्रीमद्भागवत गीता Advance Level 4 Class की मेरी Group -A की 11वीं प्रस्तुति शनिवार 4 जनवरी 2025 को संपन्न हुई !
Question- कृष्ण के विश्व-रूप की प्रकृति और अर्जुन द्वारा इसे देखने की इच्छा के कारणों की व्याख्या करें। उपदेश के लिए इसके महत्व पर चर्चा करें। अपने उत्तर में भगवद्गीता अध्याय 11 से प्रासंगिक श्लोकों और तात्पर्यों का संदर्भ लें।
जिसका यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक दिया गया है। मेरी प्रस्तुति वीडियो में समय 01:11:59 से है ! प्रसूति देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें।
https://youtu.be/vRoIbz6isRk
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इस्कॉन® कुलाई, मैंगलोर द्वारा अयोजित मेरी भक्ति शास्त्री कोर्स की चल रही कक्षा का यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक
-https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4HvCkJ8HBhNQe2A_45t18l&si=pVPcZDabmTy46in0
महामंत्र -हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।
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हार्दिक शुभकामनाएं,
Jeetendra Sharan
(कायस्थ परिवार)
https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=488905
https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=253501&y=1
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