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दालें ही सस्ती और सुपाच्य प्रोटीन का जरिया है जो शरीर की कमजोरी, मांसपेशियों की दुर्बलता और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी को दूर करती है ।

पता नहीं किसने ये अफ़वाह फैला दी है कि दालें खाने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है। कोई भी हल्की सी जोड़ों की तकलीफ बताता है तो लोग फौरन बोल देते हैं – दाल मत खाओ, यूरिक एसिड होगा। जबकि सच्चाई ये है कि यूरिक एसिड सीधे दाल से नहीं, प्यूरिन नाम के तत्व से बनता है और प्यूरिन की सबसे ज्यादा मात्रा रेड मीट, मछलियों, शराब और मीठे ड्रिंक्स में होती है। हमारी रोजमर्रा की दालों में थोड़ा प्यूरिन ज़रूर होता है, मगर इतनी अल्प मात्रा कि सामान्य खाते रहने से किसी स्वस्थ व्यक्ति में यूरिक एसिड बढ़ना मुश्किल है। भारत जैसे देश में, जहां थाली पहले से ही कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट से भरी होती है, वहां दालें ही वो साधारण, सस्ती और सुपाच्य प्रोटीन का जरिया हैं जो शरीर की कमजोरी, मांसपेशियों की दुर्बलता और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी को दूर करती हैं। सबसे ज्यादा मजेदार बात ये है कि जिन चीज़ों से यूरिक एसिड सच में बढ़ता है, जैसे शराब और फास्ट फूड, उनकी चर्चा कोई नहीं करता, और सीधा दोष दालों पर मढ़ दिया जाता है।
आइए समझते हैं कुछ प्रमुख दालों के बारे में ।

मूंग दाल
हल्की, त्रिदोषशामक (मुख्यतः कफ-पित्त शामक ), सुपाच्य
बुखार, अतिसार (दस्त), उल्टी, अपचन और गर्भवती महिलाओं के लिए भी उपयुक्त
प्रोटीन का सर्वोत्तम स्रोत, बच्चों और बुजुर्गों में उपयोगी

मसूर दाल
पित्त को शांत करने वाली होती है,
रक्त शुद्ध करता है, रक्त पित्त में उपयोगी है,त्वचा के दाग-धब्बे मिटाने में सहायक,हैवी ब्लीडिंग में उपयोगी है,मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मददगार होता है ।

चना दाल
मधुर और रुक्ष
बलवर्धक, मांसपेशियों को पुष्ट करती है
मूत्ररोग व शुक्रदोष में हितकारी
मधुमेह में भी सुरक्षित और उपयोगी।

अरहर (तुअर) दाल
पौष्टिक, बलवर्धक लेकिन वात को बढ़ाने वाली,
वातवर्धक लेकिन पाचन में मध्यम
खांसी, श्वास रोगों में लाभकारी।

उड़द दाल
भारी, बलवर्धक, शुक्रवर्धक
कमजोरी, बांझपन और शुक्र दोष में हितकारी
हड्डियों और स्नायुओं के लिए पौष्टिक

कुलथी दाल
किडनी स्टोन और मूत्रकृच्छ में विशेष लाभकारी
गठिया, जोड़ों के दर्द, मोटापे के विकारों में उपयोगी
पाचनशक्ति को सुधारती है

मटर दाल
कफ-पित्त को कम करती है लेकिन वातवर्धक है,
मध्यम पाच्य है,हृदय रोग, कब्ज और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में सहायक l

इसलिए दाल ना छोड़े किसी भी अफ़वाह में फँसकर और अपनी ज़रूरत के अनुसार दाल चुनें ।
और हाँ! दाल को बघारे मतलब की छौंक ज़रूर लगाएं,तेल,हींग,जीरा से ।
तेल वात को कम करता है ।

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