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कृषि वैज्ञानिक व्दारा मक्का फसल में संतुलित उरर्वक उपयोग की किसानों को दी जा रही सलाह छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश

कृषि वैज्ञानिक द्वारा मक्का फसल में संतुलित उर्वरक उपयोग की किसानों की दी जा रही सलाह

अधिक यूरिया मक्का फसल के लिए हानिकारक–कृषि वैज्ञानिक
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जिले में मक्का फसल की बुवाई के बाद अब खाद प्रबंधन की दिशा में किसानों को संतुलित उर्वरक उपयोग की समझाइश दी जा रही है। आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मक्का फसल में प्रति एकड़ अधिकतम एक बार एक बैग यूरिया पर्याप्त होता है। परंतु देखा गया है कि कई किसान दो बैग या उससे अधिक यूरिया का उपयोग कर रहे हैं, जिससे फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ.रोशनलाल राउत ने बताया कि यूरिया अत्यधिक घुलनशील होता है और पौधों द्वारा डाले गए यूरिया का केवल 30 से 35 प्रतिशत ही अवशोषित किया जा पाता है। शेष यूरिया जल प्रवाह के साथ बह जाता है या गहराई में चला जाता है, जिससे पौधों को उसका लाभ नहीं मिल पाता। विशेषकर वर्षा के समय या वर्षा की संभावना में यूरिया डालना नुकसानदायक हो सकता है। डॉ.राउत ने कहा कि मक्का फसल में अत्यधिक यूरिया के उपयोग से पौधे जरूरत से ज्यादा हरे और कोमल हो जाते हैं, जिससे उनमें रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। ऐसे में किसान को बार-बार कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
उप संचालक कृषि जितेन्द्र कुमार सिेंह ने बताया कि मैदानी अमले द्वारा किसानों को संतुलित उर्वरकों के उपयोग की सलाह दी जा रही है ताकि उत्पादन लागत को कम किया जा सके। कम वर्षा की स्थिति में नैनो यूरिया का छिड़काव करना लाभकारी बताया गया है, क्योंकि यह पत्तियों के माध्यम से सीधे अवशोषित होता है और वर्षा या धूप का उस पर असर नहीं होता। विशेष रूप से जब मक्का में अधिक पत्तियाँ हो जाती हैं, उस समय दूसरी बार नाइट्रोजन पूर्ति के लिए नैनो यूरिया उत्तम विकल्प है। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें और अनावश्यक लागत से बचें।

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Department of Agriculture, Madhya Pradesh
Jansampark Madhya Pradesh

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