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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना। अग्निवीर सोनू की जान बहनों की दुआओं ने बचाई। राहत-बचाव के दौरान भागीरथी के सैलाब में बह गए थे।


उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को बादल फटने और खीर गंगा नदी में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा में राहत और बचाव कार्य के दौरान भारतीय सेना के अग्निवीर सोनू सिंह भागीरथी नदी के सैलाब में बह गए थे। अपनी जान बचने का श्रेय वे अपनी बहनों की दुआओं को देते हैं। वर्तमान में सोनू सिंह उत्तरकाशी के जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं।



उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले अग्निवीर सोनू सिंह ने बताया कि 5 अगस्त को धराली में बादल फटने की सूचना मिलने पर उनकी 18 जवानों की टुकड़ी को राहत और बचाव कार्य के लिए हर्षिल भेजा गया था। हर्षिल नाला पार करते समय अचानक मलबा गिर गया, जिसके कारण वे और उनके साथी जवान भागीरथी नदी के तेज बहाव में बह गए। सोनू ने बताया, “मुझे लगा कि अब मैं नहीं बचूंगा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। बहते हुए पत्थरों से टकराने से मेरे शरीर पर कई जगह चोटें आईं, लेकिन मैंने एक पेड़ को पकड़ लिया। करीब डेढ़ घंटे तक मैं मलबे में फंसा रहा। बाद में सेना की एक दूसरी टुकड़ी ने मुझे ढूंढकर सुरक्षित निकाला।”

नौ जवान अभी भी लापता:
सोनू ने बताया कि उनकी टुकड़ी के नौ जवान, जिनमें एक सूबेदार और एक हवलदार शामिल हैं, अब भी लापता हैं। आपदा में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और 50 से अधिक लोग लापता हैं, जिनमें 11 सैनिक शामिल हैं।


बहनों की दुआओं का असर:
सोनू ने अपनी छोटी बहन सोनाली और बड़ी बहन सुषमा का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी बहनें लगातार फोन पर रक्षाबंधन के लिए घर बुला रही थीं, लेकिन ड्यूटी के कारण वे नहीं जा सके। उन्होंने कहा, “मेरी बहनों की दुआओं की वजह से ही मैं बच पाया। उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर रक्षाबंधन पर नहीं आ सकता, तो दिवाली पर जरूर आना। मैं अब दिवाली पर घर जरूर जाऊंगा।”

राहत और बचाव कार्य:
धराली और हर्षिल में भारतीय सेना, वायुसेना, ITBP, NDRF, SDRF, और BRO की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 190 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, और 307 तीर्थयात्रियों को गंगोत्री से मुक्वा पहुंचाया गया है। सेना ने धराली और मुखवा के बीच एक अस्थायी फुटब्रिज बनाया है, जो आवागमन का एकमात्र साधन है। हर्षिल के ऊपरी क्षेत्र में बनी एक अस्थायी झील की निगरानी की जा रही है, क्योंकि इसके टूटने से निचले इलाकों में और नुकसान हो सकता है।

सरकार ने तीन आईएएस अधिकारियों—अभिषेक रुहेला, मेहरबान सिंह बिष्ट, और गौरव कुमार—को उत्तरकाशी में तैनात किया है।

सोनू सिंह की कहानी न केवल उनके साहस और जीवटता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आपदा के बीच मानवीय भावनाएं और परिवार का प्यार कितना बड़ा सहारा बन सकता है। उनकी बहनों की दुआएं और सेना की तत्परता ने उनकी जान बचाई, लेकिन लापता जवानों की तलाश अभी भी जारी है।

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