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इस युग में मंदिरों के निर्माण की अपेक्षा भक्त बनाना अधिक महत्वपूर्ण है।रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि ।


इस युग में मंदिरों के निर्माण की अपेक्षा भक्त बनाना अधिक महत्वपूर्ण है।

(श्रील प्रभुपाद,उपेन्द्र को पत्र, हवाई, 7 अगस्त 1969 )

आज की श्रीमद भगवतम क्लास एचजी नामा निष्ठा प्रभुजी द्वारा-

https://www.youtube.com/live/lH2z-1snrSY?si=nbWntwVIjUMISQo4

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हर दिन के साथ जोश बढ़ता जा रहा है।देशभक्ति अब सिर्फ दिल की बात नहीं एक आवाज़ है, एक मिशन है।

तैयार हो जाओ, भारत फिर से गूंजेगा जय हिंद के नारों से ।भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता, विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार व नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि ।

हमारी धरोहर और संस्कृति को संजोने में अहम भूमिका निभाने वाले सभी शिल्पकारों एवं बुनकरों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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यदि तुम धर्म को फेंककर राजनीति, समाज-नीति अथवा अन्य किसी दूसरी नीति को अपनी जीवन-शक्ति का केन्द्र बनाने में सफल हो जाओ, तो उसका फल यह होगा कि तुम्हारा अस्तित्व तक न रह जाएगा। यदि तुम इससे बचना चाहो, तो तुम्हें अपने सारे कार्य अपनी जीवन-शक्ति-रूपी धर्म के भीतर से ही करने होंगे। ... इस संसार में जैसे हर व्यक्ति को अपना-अपना मार्ग चुन लेना पड़ता है, वैसे ही हर राष्ट्र को भी चुन लेना पड़ता है। हमने युगों पूर्व अपना पथ निर्धारित कर लिया था और अब हमें उसी को पकड़े रहना चाहिए — उसी के अनुसार चलना चाहिए। फिर, हमारा यह चयन भी तो उतना कोई बुरा नहीं है। जड़ के बदले चैतन्य का, मनुष्य के बदले ईश्वर का चिन्तन करना, क्या संसार में इतनी बुरी चीज है? परलोक में दृढ़ आस्था, इस लोक के प्रति विरक्ति, प्रबल त्याग-शक्ति और ईश्वर तथा अविनाशी आत्मा में दृढ़ विश्वास — तुम लोगों में सतत विद्यमान है। क्या तुम इसे छोड़ सकते हो? नहीं, तुम इसे कभी नहीं छोड़ सकते। तुम कुछ दिन भौतिकवादी होकर और भौतिकवाद की चर्चा करके भले ही मुझे भ्रमित करने की चेष्टा करो, पर मैं जानता हूँ कि तुम क्या हो! तुम्हें बस, धर्म को थोड़ा ठीक से समझा देने भर की देर है, बस, तुम परम आस्तिक हो जाओगे। सोचो, अपना स्वभाव भला तुम कैसे बदल सकते हो?

अतः भारत में किसी प्रकार का सुधार या उन्नति की चेष्टा करने के पहले धर्म-प्रचार आवश्यक है। भारत को समाजवादी या राजनीतिक विचारों से प्लावित करने के पहले जरूरी है कि उसमें आध्यात्मिक विचारों की बाढ़ ला दी जाए।

(#स्वामीविवेकानन्द )

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Bhagavad Gita Verse Of the Day: Chapter 2, Verse 44
भोगैश्वर्यप्रसक्तानां तयापहृतचेतसाम् |
व्यवसायात्मिका बुद्धि: समाधौ न विधीयते || 44||

भोग-तृप्ति; ऐश्वर्य-विलासता; प्रसक्तानाम्-घोर आसक्त पुरुष; तया-ऐसे पदार्थों से; अपहृत-चेतसाम्-भ्रमित बुद्धि वाले; व्यवसाय-आत्मिका:-दृढ़ निश्चय; बुद्धि-बुद्धि; समाधौ–पूरा करना; न-नहीं; विधीयते-घटित होती है।

Translation
BG 2.44: ऐसे मनुष्यों को सांसारिक सुखों में मन की गहन आसक्ति तथा बुद्धि सांसारिक वस्तुओं में मोहित रहती है इसलिए वे भगवतप्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए दृढ़-संकल्प लेने में असमर्थ होते हैं।

Commentary
वे मनुष्य जिनका मन इन्द्रिय के सुखों के प्रति आसक्त रहता है, वे सांसारिक विषयों और ऐश्वर्यों का भोग करने के लिए चिन्तित रहते हैं। वे अपनी बुद्धि का प्रयोग अपनी आय बढ़ाने, अपनी लौकिक प्रतिष्ठा बढ़ाने और भौतिक सुखों का संवर्धन करने में करते हैं। इस प्रकार से भ्रमित होकर वे भगवतप्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए अपेक्षित दृढ़-संकल्प धारण करने में असमर्थ रहते हैं।
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इस्कॉन मंगलुरु द्वार अयोजित श्रीमद्भागवत गीता Advance Level 4 Class की मेरी Group -A की 11वीं प्रस्तुति शनिवार 4 जनवरी 2025 को संपन्न हुई !

Question- कृष्ण के विश्व-रूप की प्रकृति और अर्जुन द्वारा इसे देखने की इच्छा के कारणों की व्याख्या करें। उपदेश के लिए इसके महत्व पर चर्चा करें। अपने उत्तर में भगवद्गीता अध्याय 11 से प्रासंगिक श्लोकों और तात्पर्यों का संदर्भ लें।

जिसका यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक दिया गया है। मेरी प्रस्तुति वीडियो में समय 01:11:59 से है ! प्रसूति देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

https://youtu.be/vRoIbz6isRk

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इस्कॉन मंगलुरु द्वारा अयोजित मेरी भक्ति शास्त्री कोर्स की चल रही कक्षा का यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक
-https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4HvCkJ8HBhNQe2A_45t18l&si=pVPcZDabmTy46in0

महामंत्र -हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।

कुलाई में दो प्रसिद्ध मंदिर हैं, श्री विष्णुमूर्ति मंदिर और चित्रपुरा श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर।

आज त्रिकुटा पर्वत" से अद्भुत प्राकृतिक पावन दिव्य पिंडी स्वरूप जगजननी माँ वैष्णोदेवी जी के प्रातः काल श्रृंगार के आलौकिक दर्शन। दर्शन के लिए फोटो देखना ना भूले ।
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हार्दिक शुभकामनाएं,
Jeetendra Sharan

https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=253501&y=1

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