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हाफ बिजली योजना पर सरकार की कैंची


एक ओर राज्य की जनता महंगाई, बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दाम से जूझ रही है वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की साय सरकार द्वारा हाफ बिजली योजना पर लगाई गई कैंची ने मध्यम वर्ग के सपनों को जलाकर राख कर दिया !

वर्तमान सरकार की अब तक की कोई प्रशासनिक एवं विकास कार्यों की ऐसी कोई विशेष उपलब्धि नहीं है , जिस पर गर्व किया जा सके. जो भी विकास कार्य प्रारंभ हो रहे हैं वे सब केंद्र शासन के योजना व कार्यविधि ही हैं. सरकार के प्रशासनिक कार्यों में भी कोई विशेष कसावट नहीं देखीं जा रही हैं. ऐसे में वर्तमान सरकार यदि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जनता को राहत पहुंचाने वाले कार्यों को पलटने का कार्य करेंगे तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. सरकार को निम्न एवं मध्यवर्ग की शक्ति और क्षमता नहीं भूलना चाहिए !

राज्य सरकार द्वारा हाफबिल छूठ की सीमा 400 से घटाकर 100 यूनिट किए जाने पर लगभग 50 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है. सरकार ने मध्यमवर्गी उपभोक्ताओं की चिंता नहीं की. जनमत निर्माण में शायद उन्हें मध्यमवर्गीय लोगों की भूमिका का स्मरण नहीं रहा, और विपक्ष को आन्दोलन का बैठे-बिठाए मौका दे दिया है !

बिजली बिल हाफ में कटौती कर सरकार ने एक और बिजली गिरा दी हैं. यह निर्णय न केवल आम जनता विशेषकर मध्यम वर्ग, छोटे व्यवसायियों और किसानों पर आर्थिक बोझ डालेगा. इस पर सरकार को गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए !

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