ट्रंप की गीदड़ भभकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने अहम् को तुष्ट करने के लिए कुंठित हो गए हैं, वे अपना विवेक खोकर राष्ट्रपति पद की मर्यादा को तार तार कर रहे हैं। ट्रंप गुंडों की भाषा बोलकर दादागिरी दिखा रहे हैं। भारत को टैरिफ का भय दिखकर अपनी मनमानी शर्तों पर झुकाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। भारत एक सम्प्रभु राष्ट्र है, वह ट्रंप की गीदड़ भभकी के सामने झुकने वाला नहीं है और न ही किसी ऐसी बात पर झुकना चाहिए जो राष्ट्रहित में न हो। भारत को ट्रंप की टपोरी भाषा का सामना कूटनीतिक शिष्टाचार से करना चाहिए। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में ट्रंप की दोगली नीति को उजागर करना चाहिए। जब अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम और उर्वरक खरीद रहा हो, तब वह भारत को रूस से तेल खरीदने को किस मुँह से मना कर सकता है। अब समय आ गया है कि भारत को अमेरिका, रूस, चीन सहित सभी देशों से निर्भरता खत्म करनी होगी, उसे ऐसी तात्कालिक एवं दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी जो भारत की किसी अन्य देश पर निर्भरता न रहे। ट्रंप 24 घंटे के भीतर भारत पर और टैरिफ बढा़ने की बेतुकी धमकी दे रहे हैं जबकि उनके अमेरिकी अर्थशास्त्री उनकी पोल खोल रहे हैं कि ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका को गम्भीर आर्थिक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। जो भी हो भारत को ट्रंप के टैरिफ से चिंतित होने के बजाय साहस और संयम से ट्रंप के टैरिफ का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए।