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#गणेशपुरा, ग्राम पंचायत मावा में विद्युत आपूर्ति का संकट बना ग्रामीणों की जिंदगी का बड़ा मुद्दा पिछले दो वर्षों से बिजली की भारी समस्या, हर माह 10-12 दिन नहीं रहती लाइट – महिलाओं, किसानों और व्यवसाय से जुड़े लोग बेहाल

गणेशपुरा, ग्राम पंचायत मावा:

डीडवाना कुचामन जिले की ग्राम पंचायत मावा में बिजली की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से गांव में नियमित रूप से बिजली नहीं आ रही है। महीने के लगभग 10 से 12 दिन गांव पूरी तरह अंधेरे में डूबा रहता है। यह कोई एक-दो दिन की समस्या नहीं, बल्कि अब यह ग्रामीणों की दिनचर्या, आय, स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा तक को प्रभावित कर रही है।

गांव के लोगों ने बताया कि रात को गर्मी और मच्छरों के कारण बिना बिजली के सोना मुश्किल हो जाता है। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। वहीं दिन के समय गृहणियों को घरेलू कामों जैसे—पंखा, ग्राइंडर, वॉशिंग मशीन आदि चलाने में मुश्किलें होती हैं।

बिजली के बिना ठप पड़ रहे ग्रामीण व्यवसाय-
गांव के कई लोग छोटे-छोटे घरेलू उद्योग और व्यवसाय चलाते हैं, जिनका काम पूरी तरह बिजली पर निर्भर है। वेल्डिंग वर्कशॉप, सिलाई-कढ़ाई केंद्र, फोटोकॉपी-प्रिंटिंग की दुकानें, चक्की, ग्राइंडिंग मशीन आदि बिजली के बिना ठप हो जाते हैं, जिससे लोगों की आय पर सीधा असर पड़ता है।

किसान भी परेशान, सिंचाई प्रभावित-
गांव के किसानों का कहना है कि बिजली की अनियमितता के कारण ट्यूबवेल और मोटर पंप समय पर नहीं चल पाते। गर्मी और सूखे मौसम में जब खेतों को बार-बार पानी देना जरूरी होता है, तब बिजली नहीं रहने से फसल सूखने की नौबत आ जाती है। इससे न केवल मेहनत पर पानी फिरता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी किसान घाटे में आ जाते हैं।

बार-बार टूटते हैं बिजली के तार – 1988-89 की पावर लाइन है मुख्य कारण-
गांव में लगे बिजली के पोल और तार अब बहुत पुराने हो चुके हैं। जानकारी के अनुसार, यह लाइन वर्ष 1988-89 की है और इसके तार अब कमजोर हो चुके हैं। हल्की हवा, बारिश या मामूली लोड बढ़ते ही तार टूट जाते हैं। जब तार टूटते हैं, तो उन्हें ठीक करने में 1-2 दिन लग जाते हैं और उस दौरान पूरा गांव अंधकार में डूबा रहता है।

प्रशासन की मरम्मत कार्य सीमित, स्थायी समाधान अब तक नहीं-
ग्रामीणों ने बताया कि विद्युत विभाग मरम्मत तो करवा देता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। अब तक सिर्फ "काम चलाऊ" उपाय ही किए गए हैं। ग्रामवासियों ने सरपंच प्रतिनिधि के माध्यम से विभाग को कई बार शिकायतें दी हैं, लिखित निवेदन भी किया है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

गांव वालों की मांग – पुरानी लाइन हटाकर नई लाइन या अंडरग्राउंड वायरिंग हो-
ग्राम पंचायत मावा के जागरूक नागरिकों ने अब प्रशासन से मांग की है कि इस समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाए। उनका कहना है कि या तो इस 35-40 साल पुरानी लाइन को पूरी तरह हटाकर नई लाइन डाली जाए या फिर अंडरग्राउंड केबलिंग कराई जाए ताकि तार टूटने जैसी समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो सके।

बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित-
स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए यह स्थिति बेहद कठिन बन गई है। न तो वे रात को पढ़ाई कर पाते हैं और न ही ऑनलाइन पढ़ाई में शामिल हो सकते हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित-
गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और निजी क्लिनिक भी बिजली की अनियमितता से प्रभावित हो रहे हैं। कई बार फ्रीजर में रखी दवाएं खराब हो जाती हैं और मेडिकल उपकरण जैसे नेबुलाइजर, ब्लड प्रेशर मशीन आदि नहीं चल पाते।

कलेक्टर महोदय से ग्रामीणों की अपील-
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और विशेष रूप से माननीय कलेक्टर महोदय से अपील की है कि इस विषय पर तुरंत संज्ञान लिया जाए। बिजली की इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान करवा कर गांव के सैकड़ों परिवारों को राहत दी जाए। यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ तो यह समस्या भविष्य में और भी गंभीर हो सकती है।

जनहित में प्रशासन से मांग है:

1. वर्तमान बिजली लाइन को बदलकर नई तकनीकी लाइन बिछाई जाए।
2. अंडरग्राउंड केबल सिस्टम को प्राथमिकता दी जाए।
3. तारों की गुणवत्ता और पोल की मजबूती सुनिश्चित की जाए।
4. ट्रांसफार्मर और फेज मेंटेनेंस का कार्य नियमित हो।
5. गांव के लिए एक स्थायी विद्युत तकनीकी दल नियुक्त किया जाए।

– संवाददाता: मावा पंचायत से विशेष रिपोर्ट

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