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कोर्ट के निर्देश पर एसएचओ रहे जशनप्रीत पर उसी के पुराने थाने में केस दर्ज

M.S.BHATIA / Mohali Panjab news
मोहाली। एक महत्वपूर्ण न्यायिक निर्देश में जिला अदालत ने जुलाई के शुरू में मोहाली कोर्ट परिसर में एक अदालत कर्मचारी पर कथित रूप से हमला करने के आरोप में इंस्पेक्टर जशनप्रीत सिंह के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश जारी किए थे। अदालत ने पाया कि ड्यूटी पर तैनात एक लोक सेवक के खिलाफ संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध किए गए थे और मोहाली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को आवश्यक कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश सिविल जज (सीनियर डिवीजन)-सह-अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनीश गोयल के रीडर पवन कुमार की ओर से दायर एक शिकायत के संबंध में जारी किया गया है, जिन्होंने 6 जुलाई, 2025 को हुई घटना की सूचना दी थी। अदालत ने सोहाना पुलिस स्टेशन के एसएचओ को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 132 (लोक सेवक पर हमला करना या काम में बाधा डालकर आपराधिक बल का प्रयोग करना), 221 (लोक सेवक के कर्तव्य निर्वहन में बाधा डालना), और 304 (छीनना) के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है, साथ ही जांच के दौरान सामने आई किसी भी अन्य लागू धाराओं के तहत भी इस पर कार्रवाई करने को कहा है।शिकायत के अनुसार, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की स्थापना के तहत चौकीदार के रूप में तैनात बलजीत सिंह उस समय ड्यूटी पर थे जब पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को अदालत में पेश किया जाना था। करीब साढ़े 11 बजे इंस्पेक्टर जशनप्रीत कथित तौर पर बलजीत सिंह के पास पहुंचे और राधा स्वामी सत्संग घर के पास का गेट खोलने की मांग की। जब चौकीदार ने इंस्पेक्टर से गेट खोलने से पहले न्यायिक अधिकारियों से अनुमति लेने का अनुरोध किया, तो इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर मारपीट कर उससे चाबियां छीन लीं और उसे धक्का दे दिया।बाद में, बलजीत सिंह ने न्यायाधीश अनीष गोयल को बताया कि इंस्पेक्टर ने उनको दो-तीन घूंसे मारे थे। रीडर पवन कुमार ने बाद में शिकायत दर्ज कराई, जिसे जांच के लिए पुलिस को भेज दिया गया। सोहाना पुलिस स्टेशन के एसएचओ द्वारा की गई और डीएसपी सिटी-2 द्वारा सहमति व्यक्त की गई जांच ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों ड्यूटी पर तैनात थे, इस दौरान कोई अपराध नहीं बनता है, यह कहते हुए कि मामला आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था और दोनों पक्ष तनावपूर्ण माहौल में दबाव में सरकारी कर्मचारी थे। हालांकि, अदालत इस निष्कर्ष से असहमत थी।

न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि कथित अपराध समझौता योग्य नहीं हैं और केवल इसलिए इसे खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि पीड़ित एक सरकारी कर्मचारी है, उसने बाद में समझौता कर लिया। अदालत ने कहा कि यह अपराध राज्य के विरुद्ध किया गया माना जाता है और केवल पीड़ित की इच्छा और सनक के आधार पर आपराधिक न्याय प्रणाली ठप नहीं हो जाएगी। मूल शिकायत को एक औपचारिक प्राथमिकी मानते हुए अदालत ने निर्देश दिया है कि आदेश की एक प्रति एसएचओ सोहाना को भेजी जाए और शिकायतकर्ता आवेदन की एक प्रति नायब कोर्ट को उपलब्ध कराए ताकि संबंधित पुलिस स्टेशन को आवश्यक रूप से प्रेषित किया जा सके।
कोट
अभी कोर्ट के ऑर्डर हमें रिसीव नहीं हुए हैं। अगर ऐसा कोई ऑर्डर है तो हम कानून की मर्यादा से बाहर नहीं जा सकते। -इंस्पेेक्टर अमनदीप सिंह, एसएचओ, थाना सोहाना

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