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पशुपालन विभाग की सख्ती पर सवाल — असली आपदा क्षेत्र तो कुछ और हैं


पशुपालन विभाग की सख्ती पर सवाल — असली आपदा क्षेत्र तो कुछ और हैं!

📍अजमेर | टोंक | भीलवाड़ा | 28 जुलाई 2025

पशुपालन विभाग द्वारा मोबाइल बंद होने पर कर्मचारियों पर कार्रवाई की सख्त चेतावनी के बीच अब सवाल उठने लगे हैं कि जिन जिलों में वास्तव में आपातकालीन स्थिति है, वहां के कर्मचारियों को क्यों हटा कर अन्यत्र बॉर्डर क्षेत्रों में तैनात किया गया है?

राजस्थान में लगातार बारिश के चलते अजमेर, टोंक और भीलवाड़ा जिलों में जलभराव और बाढ़ जैसी आपात स्थिति बनी हुई है। इन जिलों में पशु चिकित्सा सेवाओं की सख्त ज़रूरत है, ताकि जलभराव और संक्रमण की स्थिति में जानवरों को तत्काल इलाज मिल सके।

लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इन जिलों के पशुपालन विभाग के कर्मचारियों को आपात स्थिति के नाम पर बीकानेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर जैसे सीमावर्ती जिलों में तैनात कर दिया गया है, जबकि वहां वर्तमान में ऐसी कोई आपदा नहीं है।

🔴 प्रमुख सवाल ये उठता है:

जिन जिलों में वास्तविक आपात स्थिति है, वहां से स्टाफ हटाना क्या उचित है?

क्या यह पशुधन की जान जोखिम में डालने जैसा नहीं है?

विभाग की प्राथमिकता क्या सिर्फ मोबाइल ऑन रखना ही रह गया है?


विभाग द्वारा 181 पर शिकायत दर्ज कराने और मोबाइल 24 घंटे चालू रखने की सख्ती से तो कर्मचारी दबाव में हैं, लेकिन जमीनी हालात को नज़रअंदाज़ करना कहीं भारी ना पड़ जाए।

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