
कजरी गीत 'चला घूमि आई पटरी बजार पिया' ने मचाई धूम: कुलभूषण प्रतापगढ़ी की आवाज़, लेखन और अभिनय का अद्भुत संगम, अवधी भाषा को मिल रहा नया मंच
कजरी गीत 'चला घूमि आई पटरी बजार पिया' ने मचाई धूम: कुलभूषण प्रतापगढ़ी की आवाज़, लेखन और अभिनय का अद्भुत संगम, अवधी भाषा को मिल रहा नया मंच
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के लोकगीत और संगीत परिदृश्य में एक नया सितारा चमक रहा है – गीतकार और गायक कुलभूषण प्रतापगढ़ी। उनका हाल ही में रिलीज़ हुआ अवधी कजरी गीत 'चला घूमि आई पटरी बजार पिया' संगीत प्रेमियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और इसकी धुन हर जुबान पर चढ़ रही है। यह गीत न केवल अपनी मधुरता और ठेठ अवधी लहजे के लिए पसंद किया जा रहा है, बल्कि इसके वीडियो में कुलभूषण प्रतापगढ़ी और कीर्ति सिद्धार्थ की मनमोहक जुगलबंदी ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया है। यह गीत अवधी भाषा को एक नए और व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
दशकों का अनुभव, गीत लेखन और गायन का जादू:
कुलभूषण प्रतापगढ़ी कोई नए कलाकार नहीं हैं। वे पिछले पच्चीस वर्षों से अधिक समय से अवधी और भोजपुरी संगीत जगत में सक्रिय हैं। प्रतापगढ़ की मिट्टी से जुड़े इस कलाकार ने अनगिनत गीतों की रचना की है और कई प्रमुख गायकों के लिए भी गीत लिखे हैं। उनकी गीत-रचना में ग्रामीण जीवन, प्रेम और सामाजिक सरोकारों की गहरी समझ झलकती है। 'चला घूमि आई पटरी बजार पिया' में भी उनकी यही विशेषता उजागर होती है, जहाँ उन्होंने शब्दों और धुनों को इस तरह से पिरोया है कि वे सीधे श्रोताओं के हृदय में उतर जाते हैं। यह दर्शाता है कि लोक भाषाओं में रचित गीतों में कितनी गहराई और अपनापन होता है।
गीत की प्रस्तुति और वीडियो का कमाल:
इस कजरी गीत की सबसे बड़ी खासियत इसका संगीत और वीडियो प्रस्तुति है। कुलभूषण प्रतापगढ़ी ने न केवल इसे अपनी सुरीली आवाज़ दी है, बल्कि गीत के बोल और संगीत भी उन्होंने स्वयं ही तैयार किए हैं। वीडियो में उन्होंने अपनी पत्नी की भूमिका निभा रहीं कीर्ति सिद्धार्थ के साथ मिलकर शानदार अभिनय किया है। दोनों कलाकारों के बीच की सहज केमिस्ट्री और ग्रामीण परिवेश का चित्रण दर्शकों को खूब भा रहा है। यह वीडियो 4K क्वालिटी में रिलीज़ किया गया है, जिससे इसका दृश्यात्मक अनुभव और भी बेहतर हो जाता है। यह गीत पारंपरिक लोककला को आधुनिक तकनीकी माध्यमों से दर्शकों तक पहुंचाने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
जनता का भरपूर प्यार और अवधी भाषा का संवर्धन:
अवधी कजरी सुनने वाले श्रोता इस गीत को खूब सराह रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी यह गीत तेजी से वायरल हो रहा है और इसके वीडियो पर लाखों व्यूज आ चुके हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि और देसी मिट्टी की खुशबू से सराबोर यह गीत दर्शकों को अपनेपन का एहसास कराता है। यह उन लोकगीतों में से एक है जो न केवल मनोरंजन करते हैं बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ते हैं। 'चला घूमि आई पटरी बजार पिया' जैसे गीत न केवल अवधी भाषा के संरक्षण में सहायक हैं, बल्कि वे इसे युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाने का भी काम कर रहे हैं, जो अपनी जड़ों से जुड़ने में रुचि रखते हैं।
कुलभूषण प्रतापगढ़ी के लिए यह गीत एक बड़ी सफलता है और यह उनके लम्बे संगीत सफर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 'चला घूमि आई पटरी बजार पिया' निश्चित रूप से आने वाले समय में भी लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ता रहेगा और कजरी संगीत व अवधी भाषा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह गीत अब कुलभूषण प्रतापगढ़ी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है और संगीत प्रेमियों से इसे सुनने की अपील की जाती है।