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निर्मल ग्राम योजना से पुरस्कृत पड़री गांव आज बदहाल, स्वच्छता अभियान बना मज़ाक



गांव में कूड़े और गंदे पानी का अंबार, संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ा*

पड़री, मिर्जापुर।
विकासखंड पहाड़ी की प्रमुख ग्राम सभा पड़री, जिसे वर्ष 2006 में निर्मल ग्राम योजना के तहत राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा पुरस्कृत किया गया था, आज खुद गंदगी और दुर्गंध की चपेट में है। स्वच्छ भारत मिशन की असलियत यहाँ आकर उजागर हो जाती है, जहां जगह-जगह फैला कूड़ा और दूषित पानी ग्रामीणों के लिए जीना मुहाल कर रहा है।
गौरतलब है कि पड़री गांव विकासखंड पहाड़ी के 46 ग्राम सभाओं का मुख्य केंद्र है, जहां थाना, ब्लॉक मुख्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सालय, तीन बैंक, प्राथमिक से इंटर कॉलेज तक शैक्षणिक संस्थान स्थित हैं। इसके बावजूद पड़री बाजार से चंडिका रोड पर फैला कूड़े का अंबार और जलजमाव सरकारी योजनाओं और दावों की पोल खोल रहा है।
स्थानीय निवासीयो समेत दर्जनों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी से अपील करते हुए गांव की सफाई कराने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि बदहाल सफाई व्यवस्था के कारण डायरिया, मलेरिया जैसे संक्रामक रोग पांव पसार रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि आंख मूंदे बैठे हैं।
यह हाल तब है जब यह ग्राम सभा 2006 में दिल्ली विज्ञान भवन में निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। यदि ब्लॉक मुख्यालय जैसे गांव की स्थिति इतनी भयावह है, तो अन्य ग्राम सभाओं की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्वच्छ भारत मिशन और निर्मल ग्राम योजना की वास्तविकता पर यह गांव एक करारी टिप्पणी बन गया है। सवाल उठता है कि क्या सरकार की स्वच्छता योजना केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएगी?

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