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बच्चों के भविष्य पर सरकारी ताला,,बंद हो रही उनकी पाठशाला

सरकार का प्राथमिक स्कूलों के बंद करने का फरमान कही से सही नहीं ठहराया जा सकता ,,अगर सरकार को लगता है कि सरकार ने सुविधा दी बजट दिया फिर भी स्कूल की स्थिति नहीं सुधरी तो इसमें बच्चों का क्या दोष है है कि उनकी पाठशाला बंद करने का फरमान जारी कर दिया गया ,,,फरमान तो उन अध्यापक और अधिकारियों के खिलाफ जारी होना चाहिए थे जो इसके लिए जिम्मेदार थे ,जो अध्यापक वेतन तो लेते थे लेकिन स्कूल नहीं जाते थे ,जो अधिकारी वेतन के अलावा कमीशन लेते थे कभी स्कूल का निरीक्षण करने नहीं गए असली गुनाहगार तो ये है काफी कारवाई तो इनपर होना चाहिए,,,
स्कूल बंद हुए इनका क्या नुकसान हुआ इनको क्या फर्क पड़ेगा इनका पद इनका वेतन तो सुरक्षित है , प्रभावित तो उन गरीब मजलूम बच्चों का भविष्य हुआ ,,,जिनके नजदीक के स्कूल बंद हुए दूर ले जाकर मर्जर कर दिए उतनी दूर बच्चों को अभिभावक शायद जाने दे और बच्चा भी उतनी दूर जाने में शायद असहाय हो,,,और निजी स्कूल की महंगी फीस वह देने में सक्षम नहीं है,,,,
सरकार के इस फरमान से प्रभावित हुआ तो सिर्फ गरीब पिछड़ा वर्ग जिनके बच्चे प्राथमिक शिक्षा से ही वंचित किए जा रहे ,न शिक्षित होंगे न अपना हक अधिकार जानेंगे मांगेंगे,,,बस पूंजीवादियों के लिए सस्ते मजदूर बन के रह जाएंगे या नेताओं की रैलियों में धर्म जाति मजहब के नाम पर नारे लगाएंगे ,,, सरकार के इस फैसले से सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक परिणाम ही भविष्य में आयेंगे लेकिन सरकार को क्या है उसे तो बस अपनी कुर्सी बचाना है उसके लिए तो ये देश को भी झोंक देंगे इनके लिए स्कूल क्या और बच्चे क्या.......

ऋषि समीर लखनऊ

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