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झालावाड़ स्कूल हादसा: लापरवाही की कब्रगाह बन गई शिक्षा की दीवार"

घटना का विवरण:
25 जुलाई को झालावाड़ जिले के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय की छत अचानक गिर गई।
घटना उस समय हुई जब बच्चे क्लासरूम में पढ़ाई कर रहे थे।
7 बच्चों की मौत घटनास्थल पर हो गई, जबकि 21 अन्य घायल हो गए, जिनमें से 9 की हालत गंभीर बताई जा रही है।

ग्रामीणों की पुकार:
"हम पिछले 4 साल से स्कूल भवन की मरम्मत की मांग कर रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।"

"हर साल बच्चे डर के साये में पढ़ते थे, और अब ये हादसा हमारी चेतावनी को सच कर गया।"

⚠️ प्रशासन की लापरवाही:

स्कूल की छत में दरारें थीं।

मरम्मत के लिए कई ज्ञापन दिए गए थे।

लेकिन ना प्रशासन ने सुध ली, ना शिक्षा विभाग ने कोई कदम उठाया।

🎓 राजनीतिक सवाल:

"नेताओं और अफसरों के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं, इसलिए सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत उन्हें नजर नहीं आती।"

"ये हत्या है – सिस्टम की हत्या, प्रशासन की हत्या और संवेदनहीनता की हत्या।"

💔 पीड़ित परिवारों का दर्द:
मृत बच्चों के माता-पिता बेसुध हैं। जिनके कंधों पर बस्ता होना था, अब वो ताबूत का बोझ उठाए जा रहे हैं।

जनसवाल:
क्यों नहीं होता सरकारी स्कूलों का वार्षिक स्ट्रक्चर ऑडिट?
क्या अब हर हादसे के बाद ही जागेगा सिस्टम?
क्या मंत्री इस्तीफा देंगे?

🎤 समाप्ति संदेश:
"ये सिर्फ हादसा नहीं, ये सिस्टम पर एक तमाचा है।"
अब वक्त आ गया है कि सरकार जमीनी स्तर पर स्कूलों की सुरक्षा की जवाबदेही तय करे — नहीं तो ऐसी 'मृत्यशालाएं' फिर बनती रहेंगी।

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