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जब सफल रहा "ऑपरेशन संधूर"। तो विपक्ष क्यों करे मजबूर।।

होशियारपुर: 24 जुलाई,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर)
बीते मई महीने में पड़ोसी दुश्मन देश पाकिस्तान की सर जमीं पर दुश्मन द्वारा संचालित और सुरक्षा प्राप्त 9 आतंकी फैक्ट्रियों को भारतीय सेना ने ऑपरेशन "संधूर" की सफल करवाई दौरान तहश नहश करके दुश्मन को ऐसा सबक सिखाया कि अब सालों तक दुबारा हिमाकत नहीं कर पाएगा। यही नहीं बल्कि दुश्मन को विभिन्न प्रकार की कूटनीति कारवाइओं से भी घेरा गया है।
जब सीजफायर की घोषणा हुई तब तक तो ऑप्रेशन संधूर का मकसद पूरा हो चुका था। मरे सांप की तरह दुश्मन यूंही विष घोल रहा था। अब ऐसे में यदि युद्ध विराम हो भी गया तो क्या बुराई है। वो चाहे ट्रंप की वजह से हुआ हो या दोनों देशों का आपसी फ़ैसला हो। जो भी हुआ अच्छा हुआ देश की जनता "ऑप्रेशन संधूर" की सफ़लता से बहुत खुश भी है। दुनियां में देश का वर्चस्व भी बढ़ा है तो विपक्ष पता नहीं क्यों "ऑप्रेशन संधूर" को लेकर इतना एग्रेसिव हो रहा है? यह एक सैन्य कार्रवाई थी, जो गोपनीय तरीके से ही कामयाब हो पाती हैं, उसमें सफलताएं और असफलताएं मुमकिन होती हैं। पर सेना की बहादरी वा सूझबूझ के चलते हमारा देश दुश्मन पर भारी था। पर हो सकता है कुछ कमजोरियां भी रही हों पर वो मसला रक्षा मंत्रालय और सेना कर्मियों के भीतर का मामला है। उसे जग ज़ाहिर करने या विपक्ष के सामने रखने का कोई मतलब नहीं है। मेरे हिसाब से विपक्ष की यह होशी राजनिति है जो देश के सुरक्षा चक्कर के अंदरूनी मामलों में बे लोड़ा दखल देकर सेना बलों का मनोबल गिराने की कोशिश में है।
किसी भी दुश्मन को हल्के में नहीं लेना चाहिए, सोचो यदि उक्त युद्ध विराम ना हुआ होता तो आम जनता किस हाल में होती। भले ही दुश्मन देश भारत के आगे कमज़ोर या बे बस दिखता हो पर फिर भी जंग में नुक्सान दोनों तरफ़ ही होता है। उक्त जंग लंबी खिंच जाती तो दुश्मन देश की मदद करने वाले कई देश आगे आ सकते थे। फिर वो नज़ारा सामने आता जिसकी कल्पना मात्र से ही दिल दहल जाता है। सो ऊपर वाले का बहुत बहुत शुक्र है जो माड़े वक्त से बचा गया।

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