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गोवंश दुर्दशा प्रकरण: अब एक और चुनौती... डॉक्टर और कर्मचारियों का काम से इनकार, भूख से तड़प रहे गोवंश

मेरठ के परतापुर स्थित कान्हा गोशाला में कर्मचारियों और डॉक्टरों ने वेतन न मिलने और भारी काम के चलते काम करने से इंकार कर दिया। भूख-प्यास से बेहाल 2549 गोवंशों की देखरेख में संकट गहराया। नगर निगम सुधार की बात कह रहा है, लेकिन सवाल कई हैं।मेरठ के परतापुर स्थित कान्हा उपवन गोशाला चलाने में नगर निगम के सामने एक और चुनौती बन गई है। गोवंशों के इलाज करने वाले डॉक्टरों और गोशाला में कार्यरत कर्मचारियों ने बुधवार को कामकाज करने से मना कर दिया। निगम अफसरों ने इस पर पत्राचार भी शुरू कर दिया। कर्मचारियों का आरोप है कि निगम ने तीन-चार महीने से वेतन तक नहीं दिया। गोवंशों की संख्या ज्यादा है और कर्मचारी बहुत कम है। नए कर्मचारियों को ढूंढने में नगर निगम के पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि वहां पर कार्यदाई संस्था द्वारा ही कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी। गोशाला में 2549 गोवंशों की देखरेख करने के लिए निगम की लिखापढ़ी में 54 कर्मचारियों तैनात हैं और वहां स्थायी एक भी डॉक्टर नहीं है।गोवंशों की दुर्दशा की पोल खुलने पर अब निगम की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। गोशाला में तैनात महिला और पुरुषों ने काम करने से मना कर दिया हैं। उनका कहना है कि गोवंशों की संख्या ज्यादा होने के चलते गोशाला में काम बहुत हैं और 15 से ज्यादा रोजाना कर्मचारी नदारद रहते हैं बुधवार को चार महिला गोशाला नहीं पहुंची और अपने साथी कर्मचारियों से कहा कि अब वह काम नहीं करेंगी। इससे भी बुरा हाल गोवंशों का इलाज करने वाले डॉक्टरों का है। निगम का दावा कि पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रियंका शर्मा की तैनाती है।
डॉ. प्रियंका का कहना है कि मेरा गोशाला से कोई लेनादेना नहीं है, मेरी पोस्टिंग पशु चिकित्सालय परतापुर में है। जहां से मैं 27 हजार पशुओं का इलाज करती हूं। कभी-कभी गोशाला से फोन आता है, तो मैं उपचार के लिए वहां पर चली जाती थी। गोशाला में कभी प्रभारी मंत्री और अधिकारी निरीक्षण करते थे, तब मुझे डॉ. हरपाल सिंह फोन करके बुला लेते थे। कान्हा उपवन गोशाला की सारी जिम्मेदारी नगर निगम की है। वहां पर कोई डॉक्टर नहीं है, इसके लिए मैं कई बार निगम अफसरों से बोल चुकी हूं। गोशाला का कायाकल्प करने में उतरा नगर निगम
भूख के मरे गोवंशों के मामले में फजीहत होने के बाद नगर निगम अब गोशाला के कायाकल्प में जुटा है। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार की निगरानी में नए सिरे से गोशाला का विस्तार कर खामियों में सुधार किया जा रहा है। 15000 वर्ग मीटर में जगह चिह्नित कर उसको कब्जा मुक्त कराया जा रहा है। अभी सात टीन-शेड है, जिसको बढ़ाकर आठ कराया जा रहा है। नए कर्मचारियों की तैनाती पर भी काम करने का दावा गया।प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने गोशाला के निरीक्षण के बाद गैर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने और गोशाला की स्थिति में सुधार करने के निर्देश दिए थे। गोवंशों के रहने के लिए टीन-शेड डालकर नई यूनिट बनाने के लिए कहा था। हाल में बने गोशाला के वरिष्ठ प्रभारी अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह कामकाज कराने में लग गए हैं।सीसीटीवी, सिक्योरिटी गार्ड और पर्याप्त कर्मचारियों की तैनाती करने का दावा किया गया है। गोशाला की सफाई के लिए मिनी सीवर जेटिंग मशीन को लगाया गया है। गोशाला के बाहर गांव के श्मशान के पास गोबर और मलमूत्र को हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। गोशाला में भ्रष्टाचार की जांच में आएगी कई जिम्मेदारों पर आंच
गोशाला में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था की जांच की आंच कई जिम्मेदारों पर आएगी। पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह व केयर टेकर भारत कुमार के अलावा कई लोगों के नाम पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आए हैं। इनके खिलाफ सुबूत जुटाए जा रहे हैं। बताया गया है कि शासन ने मेरठ पुलिस-प्रशासन के अफसरों से विभागीय जांच रिपोर्ट मांगी है। इस प्रकरण में जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने की शासन की मंशा है।
गोवंशों की दुर्दशा के बाद प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी रहे डॉ. हरपाल सिंह के जेल जाने के बाद भी भाजपा नेता और पार्षदों में आक्रोश कम नहीं हो रहा है। पार्षदों द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर निगम के अफसरों पर भद्दे कमेंट कराने का सिलसिला जारी है। डॉ. हरपाल के अलावा गोशाला में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था कराने में अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ भी भाजपा नेता और पार्षद ने सोशल मीडिया पर मुहिम चला रखी है। जिस पर पुलिस की नजर है। सिविल लाइन थाने और परतापुर थाने में दर्ज मुकदमे की विवेचना पुलिस ने शुरू कर दी है।
एसएसपी डॉ. विपिन ताडा का कहना है कि इस प्रकरण में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी तय है। डॉ. हरपाल के पास से कुछ दस्तावेज मिले हैं, इसकी जांच करने में पुलिस जुट गई है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर को पुलिस रिमांड पर भी लेगी। पैसे कौन-कौन लेते थे, इसकी भी जांच कराएंगे। नामजद निगम के लिपिक विकास शर्मा की तलाश में पुलिस की दबिश जारी है। यह था मामला
परतापुर स्थित कान्हा उपवन में गोवंशों की दुर्दशा का मामला अमर उजाला ने 16 जुलाई 2025 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद नगर निगम की नींद टूटी। अस्थायी दस कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर निगम ने पल्ला झाड़ने का प्रयास किया। भाजपा नेता विनीत शारदा अग्रवाल, पार्षद उत्तम सैनी सहित कई लोगों ने गोशाला में गोवंशों की दुर्दशा का मुद्दा प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह के सामने उठा दिया।
प्रभारी मंत्री ने गोशाला का निरीक्षण किया, इसके बाद प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह को हटाया गया। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव से जानकारी ली, इसके बाद मेरठ के प्रशासन में खलबली मची। सोमवार को परतापुर में दो कंपनी और सिविल लाइन थाने में डॉ. हरपाल पर सरकारी संपत्ति का गबन, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ। मंगलवार को उन्हें कोर्ट ने पेश किया, जहां से उनको न्यायिक हिरासत में लेकर 14 दिन के लिए जेल भेजा।
डॉ. हरपाल सिंह के ऑफिस की पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज मांगी है। गोशाला में चारे के नियमित बिल कौन सी फर्म से आते थे। लाठी-डंडों की सप्लाई के बिल देने वाली फर्म, नामजद दोनों कंपनियों का रिकॉर्ड, भूसा, चोकर, हरा चारा और अन्य सामान के बिल, भुगतान कैसे हुआ। डॉ. हरपाल के अलावा गोशाला की जिम्मेदारी किस-किसकी थी, इसको लेकर भी पुलिस निगम के अधिकारियों से पूछताछ करेगी।

कान्हा उपवन गोशाला - फोटो :

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