
ब्लड कैंसर से 27 साल की उम्र में कारीगर को जीवन का दूसरा मौका मिलना चाहिए, अकेले सेल दाता की स्ट्रॉन्ग रेज़
रांची: 27 वर्ष की कृति सिंह इस समय जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है। महज 13 साल की उम्र में क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (एक प्रकार का कैंसर रक्त) से पीड़ित कृति ने वर्षों में दवाओं के नाम पर सामान्य जीवन जीने की हरसंभव कोशिश की है। लेकिन अब बीमारी एक ऐसी मोड़ पर पहुंच गई है जहां उसका इलाज केवल एक स्टेम सेल प्रत्यारोपण से ही संभव है। इसके लिए एक समकक्ष रक्त स्टेम सेल दाता की स्ट्रेस ब्लास्टिंग है और यही वह जगह है जहां आम लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
मंगलवार को लोकल प्रेस क्लब में डीकेएमएस फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्लड कैंसर बीमारी से 27 साल की कृति बहुत ही भावुक हो कर कह रही है कि अब बस एक डोनर ही मेरी जिंदगी बदल सकता है। कृति का सपना एक दिन खुद का फैशन ब्यूटिक ओपनिंग है। आज वह सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि ऐसे हजारों अन्य मरीजों के लिए अपील कर रही है जो अपने 'जीवनदाता' की तलाश में हैं।
राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली के बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. डायन ब्राउनी कहते हैं कि, "भारत में हर पांच मिनट में एक व्यक्ति को रक्त कैंसर या रक्त विकार से पीड़ित पाया जाता है। स्टेम सेल दान कई बार उनके जीवन रक्षक साबित होता है। लेकिन भारत में एचएलएलआई प्रकार की विविधता के कारण समान दाता की पहचान होती है।"
डीकेएमएस फाउंडेशन इंडिया के अनुसार, भारत की जनसंख्या का अनुपात में अन्ना सेल होल्डर का रजिस्टर बेहद कम है। संस्था के अध्यक्ष पैट्रिक पॉल कहते हैं, "कृति जैसे मरीज़ों के लिए एक असंबंधित लेकिन मेल खाने वाला डोनर खोजना है। इसके लिए लक्ष्य है कि 18 से 50 साल के बीच के स्वस्थ लोग आगे बढ़ें और पंजीकरण करें। अधिक लोग पंजीकृत होंगे, किसी के पास रहने की संभावना बहुत ही चरम है।"
जो भी 18-55 आयु वर्ग के स्वस्थ व्यक्ति हैं, वे डीकेएमएस इंडिया की वेबसाइट www.dkms-india.org/register-now पर उपभोक्ता घर बैठे होम स्वैब किट खरीद सकते हैं।
स्वाइब किट के माध्यम से गॉल के अंदर से नमूना लेकर उसे वापस जाना पड़ता है। इसके बाद आपके स्पेक्ट्रम प्रकार का विश्लेषण कर ग्लोबल सुपरमार्केट में शामिल किया जाता है। यदि आपका एचएलए टाइप किसी मरीज से मेल खाता है, तो कृपया संपर्क करें।
कृति के माता-पिता कहते हैं, हमने अपनी बेटी को कभी हारते हुए नहीं देखा। उसकी किट्स मुझे भाई किट्स हो रही है। किसी भी पिता अपने संत को यूं तड़पाते हुए कैसे देख सकते हैं। मेरा और मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का सेल मिलान नहीं हो रहा है। अगर दुनिया में इसके लिए कोई भी एनालॉग सेल डोनेट नहीं करता है तो मेरी बेटी की लाइफ बच सकती है। इस मौके पर एम नियॉल कच्छप और श्रीराधी नायक मौजूद थे।