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राजनीति में अचानक लिए गए फैसले अक्सर संदेह पैदा करते हैं....

राजनीति में अचानक लिए गए फैसले अक्सर संदेह पैदा करते हैं, लेकिन जब कोई नेता 74वां वर्ष में इस्तीफा थमा दे, तो शक थोड़ा गहरा हो जाता है। मामला सिर्फ उम्र का नहीं, ‘टाइमिंग’ का भी है।

जगदीप धनखड़ अभी 74 के हुए ही थे और राजनीति से जुड़े गलियारों में ये whispers तेज़ हो गईं कि कहीं कोई 'नया रोल', कोई 'नई जिम्मेदारी' (आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसी) तो नहीं तय हो चुकी? दिलचस्प बात ये है आज सदन में जेपी नड्डा जी ने ‘सभापति’ की तरह विपक्षी सदस्यों को समझा रहे थे। जबकि सदन में आसन पर आसीन थे सभापति जिन्होंने इस्तीफा दिया है।

अब लोग पूछने लगे हैं कि "क्या वास्तव में ये महज़ एक 'निजी फैसला' था या स्क्रिप्ट पहले ही तैयार थी?" कहीं ऐसा तो नहीं कि उपराष्ट्रपति के आसन पर कोई ‘नया वजन’ बिठाने की तैयारी हो रही है?

प्रयागराज के एक पुराने राजनीतिक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि
"74 की उम्र में लोग केदारनाथ दर्शन को निकलते हैं, इधर लोग राज्यसभा छोड़कर सत्ता की तीर्थ यात्रा पर बढ़ते दिख रहे हैं!"

खैर, दो महीने बाद क्या होगा । जब कुछ लोग पूरे 75 के हो जायेगे। ये वक्त बताएगा। लेकिन फिलहाल दिल्ली की हवा में कुछ बदली-बदली ज़रूर है।

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