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प्राथमिक विद्यालयों की बंदी के खिलाफ चलाया संवाद अभियान

युवा मंच की टीम ने कहा कि दलित, आदिवासी बच्चे हो जाएंगे शिक्षा से वंचित

म्योरपुर, सोनभद्र। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम बच्चों के विद्यालयों को बंद करने के तुगलकी फरमान की जांच पड़ताल करने आज युवा मंच की टीम डडियरा, बलियरी, खैराही, किरवानी, गोविंदपुरआश्रम आदि गांव में गई। टीम ने वहां देखा कि इन विद्यालयों के बंद हो जाने के कारण बेहद गरीब दलित और आदिवासी समुदाय के बच्चे शिक्षा से ही वंचित हो जाएंगे। टीम को अभिभावकों ने बताया कि विद्यालयों के बंद होने से काफी लंबी दूरी छोटे-छोटे बच्चों को पैदल तय करनी पड़ेगी। जिसके कारण उनकी शिक्षा को सुचारू रूप से चलाना संभव नहीं होगा। युवा मंच की टीम ने कहा कि हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी यह कहा है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो और हर बच्चे के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी वह सुनिश्चित कराएं। इसलिए सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और विद्यालय बंदी के आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए।
युवा मंच की टीम ने कहा कि पहले ही दुध्दी जैसे पठारी-पहाड़ी इलाके में बच्चों की शिक्षा का स्तर बेहद खराब है। आमतौर पर बच्चे कक्षा 8 के बाद ड्रॉप कर जा रहे हैं और उनकी पढ़ाई आगे नहीं चल पाती है। यही नहीं यहां की नौजवान लड़कियां उच्च शिक्षा ग्रहण करके सरकारी नौकरी प्राप्त करना चाहती है बावजूद इसके सरकार ने अभी तक उनके लिए आवासीय डिग्री कॉलेज बनाने की मांग को भी पूरा नहीं किया है। युवा मंच की टीम ने कहा कि बच्चों की शिक्षा को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा और शीघ्र ही जिला प्रशासन से मिला भी जाएगा। युवा मंच की टीम का नेतृत्व जिला संयोजक सविता गोंड और जिलाध्यक्ष रूबी सिंह गोंड ने किया। उनके साथ ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, मजदूर किसान मंच के नेता राम विचार गोंड आदि लोग भी शामिल रहे।

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