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डा. अरूणेश नीरन भोजपुरी साहित्य और भाषा के मूर्धन्य शिल्पकार थे - डा.जनार्दन सिंह


भाटपार रानी, देवरिया। स्थानीय नगर के उदयन प्ले स्कूल के सभागार में समाज सेवी जगदीश मिश्रा की अध्यक्षता में पत्रकारों व साहित्यकारों की एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जिसमे प्रख्यात साहित्यकार भोजपुरी साहित्य के पुरोधा, विश्व भोजपूरी सम्मेलन के संरक्षक, बुद्ध महाविद्यालय कुशीनगर के पूर्व प्राचार्य डा अरुणेश नीरन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भोजपुरी को विश्व पटल पर आगे बढ़ाने में नीरन जी की विशेष भूमिका रही है। समाज सेवी सुशील शाही ने कहा कि डॉ निरन हिंदी व भोजपुरी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान थे। उनसे मेरा संबंध पुराना था। वे सिर्फ लेखक व संपादक ही नहीं संस्कृत कर्मी भी थे। कार्यक्रम के संयोजक व भोजपुरिया अमन पत्रिका के संपादक डॉ जनार्दन सिंह ने कहा कि डॉ निरन मूलतः देवरिया जनपद के निवासी थे लेकिन उन्होंने अपना जीवन भोजपुरी व हिंदी भाषा के लिए समर्पित कर दिया। वे २००४ से२०२४ तक वे विश्व भोजपूरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव पद पर सक्रिय रहे। वे साहित्य अकादमी के सदस्य भी रहे और आजीवन भाषा संस्कृति व साहित्य के संवर्धन के लिए संघर्ष करते रहे। कवि माहिर विचित्र ने बताया कि नीरन जी हमारे पिताजी कुबेर नाथ मिश्र विचित्र जी को बहुत ही सम्मान करते थे। देश विदेश में जहां भी भोजपुरी सम्मेलन होता था पिताजी को ले जाते थे। वरिष्ट पत्रकार कोमल पटेल ने कहा कि नीरन जी का जाना भोजपुरी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। मिशन ग्रामोदय के संचालक जगन्नाथ यादव ने अपनी रचनाओं-
रहने को दहसर में आता नहीं कोई।
तुम जैसे गये, जाता नहीं कोई।।
उन्होंने ने भोजपुरी रचना -
जवन सोचनी ना,उहे बात हो गईल,
डूबल सितारा अइसन -
भरल दुपहरिया,रात हो गईल,
जबले मौसम गर्दिश भइल,
सांच कहीं, बरसात हो गईल।।
के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किया।युवा कवि व प्रबंधक बजरंगी राय ने अपनी रचनाओं के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया। प्रो सुधाकर तिवारी ने कहा कि डॉ निरन जी के स्वाभाविक रूप से अभिभावक थे। उनका स्नेह व मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहता था। उक्त कार्यक्रम अमित मिश्र, हार्दिक पांडेय, धनेश्वर भारती, रत्नेश मिश्र अतुल तिवारी, असलम परवेज, संजय भारती आदि लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
अंत में दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई।

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