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छोटा परिवार दुःखी परिवार


जिन्होंने एक ही बच्चा पैदा किया उनसे ज्यादा दुःखी आज कौन…?

देश की सबसे बड़ी पैकेज्ड वॉटर कंपनी बिसलेरी (Bisleri) अपना कारोबार बेचने जा रही है। बिसलेरी अपना कारोबार टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के हाथों बेचने की तैयारी कर रही है। 7000 करोड़ रुपए में ये डील होगी। बिसलेरी इंटरनेशनल के मालिक रमेश चौहान ने इकोनॉमिक्स टाइम्स के साथ अपने इंटरव्यू के दौरान कहा कि उत्तराधिकारी के अभाव में वे अपनी कंपनी को बेचने जा रहे हैं।

कृपया ध्यान दें…!! उत्तराधिकारी के अभाव में इतनी बडी कंपनी में उत्तराधिकारी नहीं…?

हाँ, क्योंकि रमेश चौहान जी की एकमात्र संतान केवल उनकी बेटी है। इतना बड़ा व्यापार खड़ा तो किया, मगर परिवार नियोजन के नारे से भ्रमित होकर परिवार वृद्धि पर नियंत्रण का ठेका लेकर संतान भी केवल एक ही पैदा कर पाए।

दूसरी संतान पैदा करना इन्होंने जरूरी नहीं समझा था, लड़का-लड़की एक समान नारे की चपेट में इतना बड़ा बिजनेसमैन भी आ गया।

हमारे पूर्वज कोई मूर्ख नहीं थे जो आर्थिक रूप से सक्षम लोग कई संतान पैदा करते थे। तभी एकाध को देश की सेवा (सेना) में भेजते थे और एकाध को अपनी सेवा (व्यापार आदि) में रखते थे। जितने लड़के घर में होंगे घर उतना मजबूत होगा, व्यापार उतना बड़ा होगा, फैलेगा।

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ये सबक है उन परिवारों के लिए जो एकल परिवारों में रहते हैं या जिन्होंने फैशनवश केवल एक ही औलाद रखी है। और वह लोग भी अति भ्रमित हैं जो केवल लड़की को ही लड़का मान बैठते हैं एवं प्रकृति को मूर्ख समझकर सारी जिन्दगी खुद को मूर्ख बनाते हैं।

ध्यान रहे, सारा कमाया धमाया, खड़ा किया बिजनेस, जोड़ी जमीन, खानदानी पुश्तैनी घर सब समाप्त हो जाएगा। यदि लड़का नहीं किया तो…!! आदर्श परिवार में लड़का व लड़की दोनों ही आवश्यक हैं।

खबर है कि बिसलरी के मालिक रमेश चौहान की एकमात्र सन्तान लड़की है, वो भी आवश्यकता से अधिक पढ़ लिख गई, वो पापा की परी है अतः अब माई च्वाइस बोलकर अपनी शर्तों पर जीना चाहती है, उसे अपने पिता के व्यवसाय से कोई मतलब नहीं।

होता भी क्यों उसे तो पराए घर जाना होता है, वो भला कितने घरों को संभालेगी…? बाप ही मूर्ख था जो अपवादों के उदाहरणों को ही सामाजिक नियम समझ बैठा था।

आप व्यापार से, अपने परिश्रम से भले ही साम्राज्य खड़ा कर लीजिए, मगर कल उसे देखने वाला कौन होगा, इसका भी ध्यान रखना होगा। आपकी काम करने की शेष उम्र 40-45 वर्ष बीतने में देर नहीं लगती और तब अगर परिवार में बच्चे संभालने वाले नहीं हैं तो अनुभव होने लगता है कि सब व्यर्थ में किया।

- बड़ा परिवार, मजबूत परिवार!
- मजबूत परिवार, सुखी परिवार!
- छोटा परिवार, कमजोर परिवार!
- कमजोर परिवार, दुःखी परिवार

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