
डायबिटीज के हर दूसरे मरीज में नर्व पेन बीमारी, भूलकर भी न करें अनदेखा, 520 शुगर पेशेंट पर स्टडी में चौंकाना वाला रिजल्ट - NERVE PAIN IN DIABETES PATIENTS
आगरा : डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो न केवल ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव का कारण बनती है, बल्कि अन्य बीमारियों को भी जन्म देती है. इस बीमारी में पैनक्रियाज सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या बॉडी के सेल्स इंसुलिन का ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं.
इंसुलिन एक हार्मोन है, जो ब्लड में ग्लूकोज लेवल को मैनेज करता है, इसलिए इसकी कमी की वजह से खून में शुगर लेवल बढ़ने लगता है. हाथ-पैरों में झुनझुनी, चुभन, सुन्नपन जैसी तकलीफ होने लगती है. ये डायबिटिक नर्व डैमेज के संकेत हैं. डायबिटीज में तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण ऐसा होता है.
शुगर के हर दूसरे पेशेंट को नर्व पेन : एसएन मेडिकल कॉलेज के सोशल प्रिवेंटिव मेडिसिन (एसपीएम) डिपार्टमेंट की एक स्टडी में सामने आया है कि डायबिटीज के मरीज को हर साल छह तरह की बीमारियां होने का अधिक खतरा रहता है. यही वजह है कि 30 साल से अधिक आयु के हर दूसरे शुगर पेशेंट को पैर और हाथों की नसों (नर्व पेन) की बीमारी जकड़ रही है. यह भी पता चला है कि आगरा में सबसे ज्यादा मिडिल क्लास के लोग शुगर पेशेंट हैं.
स्टडी में गुर्दा, ह्दय रोग, आंख, पैरों की खून की नस और मस्तिष्क की खून की नसों की बीमारी भी मिली है. बता दें कि एसएन मेडिकल कॉलेज के एसपीएम डिपार्टमेंट की डॉ. मनीषा के निर्देशन में पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट डॉ. धीरज ने जिला अस्पताल में संचालित गैर संचारी रोग (एनसीडी) क्लीनिक में स्टडी की है. जिसमें डॉ. धीरज ने 2023 से 2025 के बीच एनसीडी क्लीनिक में इलाज कराने आए 520 मधुमेह राेगियों पर स्टडी की है.
अनकंट्रोल शुगर से हर साल अन्य बीमारियों का खतरा : एसपीएम डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमालय सिंह ने बताया कि डॉ. धीरज ने अपनी स्टडी में 30 साल से अधिक आयु के मधुमेह रोगी शामिल किए हैं. ये सभी शुगर पेशेंट एक से लेकर 15 साल से अधिक समय से इस बीमारी से जूझ रहे थे.
स्टडी में 44.2 प्रतिशत मधुमेह मरीजों में न्यूरोपैथी की समस्या मिली. कहें तो हर दूसरे मधुमेह रोगी में हाथ और पैरों की नसों की बीमारी होना सामने आया है. शुगर लेवल की वजह से हाथ और पैरों में सुन्नपन, झनझनाहट और दर्द की समस्या होती है. शुगर का लेवल अनकंट्रोल रहने से हर साल बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है.
नेफ्रोपैथी, रेटिनोपैथी और सेरेब्रोवास्कुलर बीमारी मिली : डॉ. धीरज सिंह ने बताया कि स्टडी में न्यूरोपैथी मरीजों के साथ ही 12.5 प्रतिशत मरीज नेफ्रोपैथी (गुर्दा संबंधी रोग) के मिले हैं. रेटिनोपैथी के मरीजों मे डायबिटीज की वजह से रेटिना में नुकसान हुआ. जिससे आंखों की रोशनी कम होने की बीमारी हुई है. ह्दय रोग और मष्तिक रोग के मरीज भी मिले हैं.