logo

डिप्टी कलेक्टर ने लगाया जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पर गाली-गलौज और बंधक बनाने का आरोप

डिंडोरी, मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले डिंडोरी में शासकीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। ताजा मामले में, डिप्टी कलेक्टर और सहायक आयुक्त विभाग प्रभारी, वैधनाथ वासनिक ने जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
यह पूरा मामला बुधवार दोपहर डिंडोरी जिला पंचायत कार्यालय में आयोजित सामान्य सभा की बैठक से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, इस बैठक में डिप्टी कलेक्टर वैधनाथ वासनिक उपस्थित नहीं हुए, जिसके बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष अंजू जितेंद्र ब्यौहार ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। अंजू ब्यौहार ने डिप्टी कलेक्टर पर शिक्षा विभाग में हॉस्टल अधीक्षकों के लेन-देन कर बड़े फेरबदल का आरोप लगाते हुए कहा कि वे इसी मुद्दे पर बात रखना चाहती थीं, लेकिन वासनिक बैठक में नहीं आए।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष अंजू ब्यौहार का आरोप है कि जब वह जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ डिप्टी कलेक्टर से मिलने कलेक्ट्रेट कार्यालय स्थित उनके चैंबर में गईं, तो उन्होंने अभद्र भाषा का उपयोग करते हुए एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि वे डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगी क्योंकि जिले की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी है और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
डिप्टी कलेक्टर ने दी सफाई, लगाए गंभीर आरोप
वहीं, दूसरी ओर, डिप्टी कलेक्टर वैधनाथ वासनिक ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष के आरोपों पर अपनी बात रखते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते और उपाध्यक्ष अंजू जितेंद्र ब्यौहार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वासनिक के अनुसार, वे अपने कलेक्ट्रेट स्थित चैंबर में काम कर रहे थे और उनके साथ नवागत सहायक आयुक्त भी बैठे हुए थे। उसी दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य लोग उनके चैंबर में आए और तेज आवाज में शिक्षकों के तबादले को लेकर सवाल करने लगे।
वासानिक ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने उन्हें बैठने को कहा, तो वे उनकी मेज ठोकते हुए अधीक्षकों के तबादले को लेकर गाली-गलौज करने लगे। उनकी आवाज सुनकर कलेक्ट्रेट के अन्य कर्मचारी भी आ गए, लेकिन वासनिक का आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित अन्य लोग उन्हें अंदर नहीं आने दे रहे थे और उन्होंने उन्हें बंधक बना लिया। डिप्टी कलेक्टर ने यह भी आरोप लगाया कि अगर शासकीय कर्मचारी उनके साथ नहीं होते, तो वे उन्हें मारते।
डिप्टी कलेक्टर वैधनाथ वासनिक का कहना है कि उन्होंने इस पूरी घटना की जानकारी कलेक्टर नेहा मारव्या को फोन पर दी है और शिकायत का प्रतिवेदन भी तैयार किया है। उन्होंने बताया कि शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए कलेक्टर के अनुमोदन पर ही तबादले किए गए थे, लेकिन जनप्रतिनिधि उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि कलेक्टर को जानकारी देने के बाद अगला कदम उठाया जाएगा।
जांच के बाद सामने आएगी सच्चाई, जनप्रतिनिधियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
हालांकि, दोनों पक्षों द्वारा लगाए गए इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन, कलेक्ट्रेट कार्यालय में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन में बाधा डालना या उस पर हमला करना) लगी हुई है, जो कहीं न कहीं इन जनप्रतिनिधियों की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
इस मामले पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि ऐसे मामलों की तुरंत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए?

147
17989 views